बेंगलुरू में एक सप्ताह पहले हुई पत्रकार–कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या के विरोध में 12 सितम्बर को देशभर से आए सैकड़ों सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और राजनीतिक दलों ने एक रैली निकाली। इस रैली में दस हजार से ज्यादा लोगों ने शिरकत की। लोगों का कहना था कि ‘सांप्रदायिक ताकतों ने देश को फासीवाद के कगार पर ला कट खड़ा कर दिया है’।
प्रदर्शनकारियों ने सिर पर काले रंग की पट्टियां बांध रखी थीं, जिन पर लिखा था ‘मैं गौरी हूं‘। रैली के दौरान लोगों ने ‘गौरी लंकेश अमर रहे‘ जैसे नारे लगाते हुए हत्यारों को जल्द पकड़ने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने शहर के रेलवे स्टेशन से सेंट्रल कॉलेज मैदान तक मार्च किया, जहां शाम को एक विरोध बैठक का भी आयोजन किया गया।
इस विरोध बैठक में भाग लेने वालों में माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, पत्रकार पी. साईंनाथ और सागरिका घोष, स्वराज इंडिया के नेता प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव, डॉक्यूमेंटरी निर्माता आनंद पटवर्धन और राकेश शर्मा और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, कविता कृष्णन और जिग्नेश मेवानी के अलावा फिल्म निर्माता प्रकाश राय भी शामिल हैं।
इस रैली में कर्नाटक जनशक्ति, आम आदमी पार्टी के सदस्यों और कई छात्र संगठनों के सदस्यों ने भी भाग लिया। गौरतलब है कि कन्नड़ टेब्लॉइड ‘गौरी लंकेश पत्रिके‘ की संपादक गौरी की अज्ञात लोगों ने पांच सितंबर को बेंगलुरु में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी।
रैली प्रगतिशील मंच ‘गौरी लंकेश हत्या विरोधी वेदिके‘ ने निकाली थी। मंच की संयोजक के. लीला ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, “लंकेश की हत्या के खिलाफ लड़ने के लिए प्रगतिशील विचारकों, लेखकों, सामाजिक कार्यकतार्ओं, कलाकारों और बुद्धिजीवियों के इस मंच ने यहां राष्ट्र स्तरीय ‘विरोध सम्मेलन का आयोजन करने का फैसला किया था।“