बिहार में कुपोषित महिलाओं को खोज निकालने के लिए एक नई योजना तैयार की गई है, जिसके अंतर्गत उनके कुपोषण की जांच के लिए लाल एक खतरे की चूड़ी बनाई गई है। ये खास चूड़ी महिलाओं के कुपोषण को आंकने का पैमाना होगी। महिला की बांह यदि 23 सेमी से कम है, तो उसे कुपोषित माना जाएगा। या यदि चूड़ी ढीली होती है तो माना जाएगा कि महिला कुपोषित है।
ये योजना हाल ही में शुरू हुई है, और राज्य के पूर्णिया जिला में चलाया जा रहा है।
इस योजना को जीविका स्वाभिमान योजना के तहत चलाया जा रहा है, जिसमें यूनिसेफ की मदद भी ली जा रही है। इस योजना के तहत पांच साल से कम उम्र के बच्चों की बांह को 11 सेमी से कम होने पर कुपोषित माना जा रहा है।
कुपोषित बच्चों और महिलाओं को चिह्नित करने का कार्यक्रम राज्य सरकार की ओर से चलाया जा रहा है।
कार्यकर्ताएं जब महिलाओं से मिलती हैं, तो उन्हें पोषण के बारे में भी समझती भी हैं, कि किस तरह से महोलाओं को अपने पोषण का ध्यान ठीक उस तरह देना चाहिए जैसे वे परिवार के अन्य सदस्यों का रखतीं हैं।
ये बहुत ही आम बात है कि महिलाएं ज्यादातर अपने खाने पीने का ध्यान नहीं रखती हैं, और उनके कुपोषित होने की यही एक बहुत बड़ी वजह बन जाती है।