जिला बांदा। गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए कई सरकारी योजनाएं बनीं। लेकिन अधिकतर गांव आज भी बिना बिजली के हैं।
निभौर (बबेरू) सौंता, मसुरी, अजुर्नाह (महुवा) अतर्रा, कल्याणपुर, भदइयाडेरा (नरैनी), मटौंध (बड़ोखरबुजुर्ग) पदारथपुर, चिल्ला, परसौड़ा (तिन्दवारी) के अलावा और भी सैकडों ऐेसे गांव हैं जहां बिजली के लिए लोग परेषान हैं। कहीं बिजली पहुंची ही नहीं तो कहीं कभी-कभार ही आती है।
अतर्रा कस्बा के बोधीलालपुरवा के पुरवा और मोहल्ला सुदामापुरी के रहने वाले कोदाप्रसाद, बाला और रामेश्वर ने बताया कि मोबाइल चार्ज करने और आटा पिसाने तीन किलोमीटर दूर अतर्रा जाना पड़ता है। बच्चों की परीक्षा चल रही है। बिना पंखे और बत्ती के तैयारी कैसे हो? इस बारे में नगरपालिका के अधिषासी अधिकारी प्रेमनारायण ने बताया कि दो पुरवा में बिजली लगवाने के लिए बजट पास हो गया है। जल्द ही काम शुरू होगा।
बांदा विधुतवितरण खंड के अधिशासी अभियन्ता अशितकुमार रूहेला से बातचीत।
सवाल – बांदा जिले में कितने ऐसे गांव हैं जहां तार खम्भा होने के बाद भी लाइट नहीं हैं?
जवाब – जिले में तो ऐसे मेरी समझ में कोई गांव नहीं हैं। फिर भी ऐसा है तो या उन गांवों में ट्रासफार्मर फुंका होगा। ऐसा भी हो सकता है कि किसी योजना के तहत वहां बिजली लगी हो लेकिन बाद में योजना बंद होने पर बिजली काट दी गई हो।
सवाल – 2013-14 में बिजली लगने के लिए कितने गांव प्रस्तावित हैं? बजट कितना है?
जवाब – 28 गांव हैं और चार करोड़ अट्ठाइस लाख बजट है।
सवाल – कितने गांव को बिजली मिल पा रही है?
जवाब – जिले में कुल 718 गांव हैं जिनको बिजली मिल रही है।
सवाल – बिजली न मिल पाने के क्या-क्या कारण हैं?
जवाब – ऐसे गांव या तो किसी योजना के तहत नहीं होंगे या फिर इनकी आबादी 500 से कम होगी।
बिन बिजली कई गांव
पिछला लेख