उत्तर प्रदेश सरकार ने बुन्देलखण्ड पैकेज के तहत गांवन-गांवन बिजली की समुचित व्यवस्था कराये खे लाने करोड़न रुपइया खर्च करो हे, पे अगर गांवन में जाके ई पैकेज की हकीकत देखी जाय तो कछू ओर ही नजर आउत हे। काय से गांव की समस्या जस की तस बनी हे।
हम बात करत हें बुन्देलखण्ड के महोबा जिले की। जिते के पचासन गांव बिना बिजली के लालटेन ओर डिब्बी के उजियारे में रहे खा मजबूर हें। ईखा ताजा उदहरण कबरई ब्लाक के गांव छिकहरा को मजरा मुल्ला को खोड़ा हे। जिते पचासन साल बीते खे बाद भी एते के आदमी अंधेरे में रहत हें। एक केती सरकार ने गरीब आदमियन की जमीन लेके बांध को निर्माण जा लालच देके कराओ हतो कि ई बांध से हजारन किसानन की खेती सिंचाई के साथे एते बिजली भी तैयार करी जेहे। जीसे आगे आये वाली पीढ़ी खा ई अंधियारे को सामना न करने खा परहे, पे आदमियन को मिलो खाली भरोसा।
अब सवाल उठत हे उत्तर प्रदेश सरकार की बिजली व्यवस्था के ऊपर। बुन्देलखण्ड पैकेज के तहत आओ करोड़न रुपइया किते गओ? का ऊ रुपइया को खर्च कोनऊ गांव के बिजली लगायें में करो गओ हे? आखिर कभे तक महोबा की तमाम जनता खा अंधेरे में रहें खा परी?
बिजली से जुड़ो हे बच्चन को भविष्य
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