लखनऊ। उत्तर प्रदेश के जिलों लखनऊ, नोएडा और आगरा में चैबीस घंटे और दूसरे जिलों में सोलह से अट्ठारह घंटे बिजली मिलनी चाहिए। गांवों में लगभग दस घंटे बिजली सप्लाई होनी चाहिए। पर ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। इन जिलों में बिजली कटौती ज़्यादा से ज़्यादा हो रही है। ग्रामीण इलाकों की स्थिति तो ऐसी है जहां दो-चार घंटे बिजली के लिए भी लोग तरसते हैं।
बिजली सप्लाई करने वाली उत्तर प्रदेश की कंपनी यू.पी. पावर कारपोरेशन लिमिटिड ने माना है कि वो राज्य सरकार और कंपनी के बीच हुए समझौते के अनुसार बिजली सप्लाई नहीं कर पा रही है। हालांकि कंपनी के अनुसार मैनपुरी, गाजि़याबाद और नोएडा समेत कई जिलों से कंपनी राजस्व भी वसूल नहीं कर पा रही है। कंपनी अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने बताया कि बिजली सप्लाई में आने वाली रुकावट का मुख्य कारण बिजली का खराब बुनियादी ढांचा है। गांवों में हालत और भी बुरी है। कम क्षमता वाले ट्रांसफारमर और खराब पड़े बिजली के तारों की वजह से बिजली लोगों तक नहीं पहुंच पाती है। राज्य में इस समय बिजली मांग दो हज़ार मेगावाट है जबकि पूर्ति केवल ग्यारह सौ मेगावाट की हो रही है। कंपनी के अध्यक्ष का कहना है कि बिजली पहुंचाने के लिए जि़म्मेदार बिजली के बुनियादी ढांचे (बिजली के तार और ट्रांसफारमर) को ठीक करके बिजली की समस्या से काफी हद तक निपटा जा सकता है।
बिजली का खम्भा ले सकता है जान
चित्रकूट। बुन्देलखण्ड में उत्तर प्रदेश का चित्रकूट जिला शामिल है। जिले के रामनगर ब्लाक कस्बा राजापुर के प्राथमिक और जूनियर हाई स्कूल के भीतर बिजली का खम्भा लगा है। प्राथमिक स्कूल के हेडमास्टर रावेन्द्र कुमार ने बताया कि यहां जूनियर हाई स्कूल भी है। इन स्कूलों के बीच में बिजली का लोहे का खम्भा लगभग बीस साल से लगा है। इस कारण से कभी भी बच्चों को करंट लग सकता है। बिजली का खम्भा स्कूल के भीतर से हटाने के लिए कइ बार रामनगर बी.आर.सी. विभाग और कर्वी बिजली विभाग में लिखित दी गई है। स्कूल में लगा खम्भा हटना चाहिए। इसके लिए बिजली विभाग में लिखित एप्लीकेशन भेजी है।