जिला सीतामढ़ी, बिहार। गैसीफायर जैसे मषीन का नाम पहले उत्तर प्रदेष में सुनने को मिलता था। लेकिन अब बिहार के जिलों में भी यह मषीन देखने को मिलती है। प्रखण्ड सोनबरसा के भूतही गांव में धान के भूसे से बिजली उत्पादन किया जा रहा है। बथनाहा प्रखण्ड के कमलदह गांव में पैक्स गैसीफायर के द्वारा राइस मिल एंव पूरे पंचायत के लोगों को बिजली मिल रही है।
भूतही के एग्रो एनर्जी सेन्टर प्लान्ट में तीन लोगों की साझेदारी है जिसमें उसी गांव के संजय महासेट, संजय कुमार और अजय साह हैं। उनका कहना है कि इस मषीन को उत्तर प्रदेश के बनारस से लाया गया था। उसमें कुल खर्च बारह लाख पचहतर हज़ार हुआ था। दस बजे सुबह मषीन चालू होती है तो ग्यारह बजे रात तक मषीन चलती रहती है। जिसमें दुकानदार को एक बल्ब और एक पंखा या टी.वी. चलाने में साढ़े चार सौ रुपए महीना लगता है। जो एक प्वाइंट षाम में जलता है, उसे पचास रुपए महीना लगता है।
इस मशीन में वैसा भूसा लगता है जो राइस मिल से निकलता है। वह दो रुपए किलो मिलता है। भूसा से मषीन चलाने पर एक लीटर डीज़ल लगता है। कमलदह भूसा प्लांट के मालिक राम लगन सिंह ने कहा कि इसकी जानकारी हमको सहकारिता विभाग से मिलती है।
बिजली उत्पादन का नया तरीका
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