नई दिल्ली। 5 मई को दिल्ली स्थित निरंतर संस्था ने ‘भारत में कम उम्र में विवाह और बाल विवाह’ पर एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में देश के सात राज्यों के शोध में देखा गया कि बाल विवाह और कम उम्र में विवाह के कारण और परिणाम क्या हैं। कार्यक्रम में इस मुद्दे पर काम करने वाली संस्थाओं के कई कार्यकर्ता शामिल थे।
संस्था की निदेशक अर्चना द्विवेदी के अनुसार, ‘रिपोर्ट में बाल विवाह और कम उम्र में विवाह को एक नए नज़्ारिए से देखा गया है। इस बात पर भी ज़्ाोर दिया गया है कि सिर्फ उम्र पर ज़्ाोर देने से बाल विवाह के मूल कारणों को अक्सर भुला दिया जाता है। सबसे ज़्ारूरी बात जो ये रिपोर्ट स्थापित करती है, वह यह है कि बाल विवाह और कम उम्र में विवाह बाल अधिकारों को नहीं बल्कि किषोर और किषोरियों को प्रभावित करता है क्योंकि भारत में राष्ट्रीय स्तर के आंकड़ों के अनुसार शादी की औसत उम्र अब भी 17.2 साल है।’ उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट में खास प्रस्ताव रखा गया है कि विवाह के मुद्दे पर जागरुकता बढ़ाने के लिए लड़कों के साथ काम करना बहुत ज़रूरी है।