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बार-बार होई छई सुधार

सरकार के नियम हई कि अट्ठारह वर्ष के बाद सब आदमी नाम वोटर लिस्ट में जुट जाय। ऐई के हमेशा सर्वे बी.एल.ओ. के द्वारा करबई छथिन। जेईमें लगभग लाखों रूपईया खर्च होई छई। तईयो कुछ न कुछ लोग के नाम या फोटो छूट जाई छई या गलत रह जाई छई।
वोटर लिस्ट में नाम अउर फोटो रहे के साथ पहचान-पत्र भी बहुत जरूरी हई। तईयो बहुत लोग के नाम छुट जाई छई। नाम अउर फोटो रहबो करई छई त फोटो दोसर के अउर नाम दोसर के रहई छई। कोनो कोना आदमी के त फोटो भी स्पष्ट न रहई छई। बहुत के नाम फोटो वोटर लिस्ट में रहई छई लेकिन पहचानपत्र न मिलल हई। जइसे रीगा प्रखण्ड के पंछोर गांव के रामसखी देवी कहलथिन कि हम 1992 में ही पहचान-पत्र के लेल फोटो खिंचइली। वोटर लिस्ट में नाम अउर फोटो हई। लेकिन आई तक पहचान-पत्र न मिलल। केतना बेर बी.एल.ओ. के पास दोबरा फाॅर्म अउर फोटो भर के देली। लेकिन आई तक पहचान-पत्र न मिलल। लेकिन हम सब अभी तक राह देखीये रहल छी। ऐहन समस्या बहुत वोटर लिस्ट में हई। जेई कारण लोग के कोई सरकारी काम या वोट गिरावे के समय काफी परेशानी होई छई।
अगर बी.एल.ओ घरे-घरे जाके सही नाम अउर फोटो लेके फाॅर्म जमा करतियई त इ समस्या न रहतियई। सब के नाम वाटर लिस्ट में रहतियई अउर पहचान-पत्र के भी समस्या न रहतियई।