सरकार के जिम्मेदारी होत हे कि हर आदमियन की सुविधा खे ध्यान दें, पे सरकार खे बढ़त महंगाई के कोनऊ चिन्ता नईंयां? महोबा जिला में पिछले पांच महीना से केऊ नेता मंत्री आय हें। तो कोनऊ पानी, बिजली तो कोनऊ सड़क के बारे में चर्चा करी हे, पे उनखे महंगाई खा लेके आम गरीब जनता की आवाज काय नई सुनाई देत हे? सब्जी के भाव सुन-सुन के आदमी पेट दबाए लगत हे। या फिर लम्बी संास लेके रह जात हे। का सरकार के एते महंगाई कम करें खें कोनऊ रास्ता नईयां? अगर आदमी पेट भर न खाहे तो काम कोन करहे? ईखे बारे में सरकार काय नईं सोचत हे? सब्जी के साथ-साथ डीजल, मिट्टी को तेल, ओर बस, ट्रेन को किराया भी बढ़ा दओ हे। इं चीजन के जरूरत सब कोनऊ खे हर दिन परत हे। सब से ज्यादा तो गरीब आदमी को पेट मारो जात हे। ऊसई ऊं मंजूरी करके पेट पालत हें। जोन सब्जी पेहले दस रूपइया के मिलत हती आज ऊ पचास रूपइया में मिलत हे। एई से ऊं मन मार के रेह जात हे।
सरकार के एते से महंगाई तो बढ़त जात हे, पे आदमियन के आमदनी नई बढ़त आय। अगर किसान खा देखो जाये तो ऊं तो ई दइयां बरबाद हो जेहे। काय से बरसात से फसल को नुकसान भओ हे, पे सरकार उनखे कोनऊ मुआवजा दंे खा काय नई सोचत आय? बढ़त महंगाई से केसे गरीब आदमियन को केसे गुजारा होहे? कभे महंगाई कम हो हे? का एसई आम जनता महंगाई कीे मार से जूझत रेहे? या फेर सरकार महंगाई कम करे खे कछू कदम उठाहे?
बाप रे बाप महगांई
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