जिला महोबा, ब्लाक कबरई। यहां के कई गांव बांध के निर्माण में डूबे क्षेत्र में आते हैं । इन गांवों के ल¨ग मुआवजे़ के लिए तीन साल से परेषान हैं। मुआवज़ा न मिलने से पिछले साल एक किसान ने आत्महत्या तक कर ली थी। फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई। कबरई ब्लाक के धरौन, गंज, अलीपुरा, कबरई और झिर गांवों के किसान मुआवजे़ के लिए 15 जून 2013 से अनषन पर बैठे हैं।
कबरई के तुलाराम, नत्थू, स्वामीदीन, गंगाराम, मोहन और षिवकली किसानों ने बताया कि हम लोगों की रोजी रोटी ज़मीन से है। सरकार न तो हमें ज़मीन देती है और न ही मुआवज़ा। धरौन गांव के मुस्तफा, षिवबालक ओेर राजेष ने बताया कि ज़मीन न होने से हमारा परिवार दो वक्त की रोटी को तरस रहा है। गरीब जनता तीन साल से ज़मीन में अनाज नहीं उगा पा रही है।
अलीपुरा गांव के षिवविजय, मूलचन्द्र तिवारी, बल्लू अहिरवार, इन्द्रजीत सिंह, राम आसरे और राजेन्द्र किसान ने बताया कि हम लोग 15 जून से अनषन पर बैठे हैं। अगर हमारी सुनवाई नहीं होगी तो हम भी आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएंगे।
किसान कमेटी के अध्यक्ष गुड्डन सिंह, बद्री सिंह और बिजय सिंह ने बताया कि हम जमीन के मुआवजे़ को लेकर तीन बार अनषन कर चुके हैं। पर अधिकारी आष्वासन देकर टाल देते हैं। इस बार अगर मुआवज़ा नहीं मिलेगा तो हम यहां से नहीं उठेंगे।
कबरई बांध के ठेकेदार जाहर सिंह बुन्देला ने बताया कि इन पांच गांवों में से एक सौ सत्तर किसानों का मुआवज़ा आ गया है। कुछ लोग अपनी ज़मीन देने को सहमत नहीं हैं। सिंचाई विभाग के परिवेक्षक उमेष कुमार वर्मा ने बताया कि कबरई और मोचीपुरा में तेरह लाख और धरौन, गंज, गुगौरा और झिर सहेवा गांव में बारह लाख इक्क्यासी हज़ार का मुआवज़ा मिलेगा।
बांध निर्माण से किसानों की बढ़ी समस्या
पिछला लेख