मनरेगा योजना 25 अगस्त 2005 मा बढ़त बेरोजगारी के लगाम रोके खातिर शुरू कीन गे रहै। गांव के मड़इन का सौ दिन का रोजगार दे खातिर या योजना के शुरुआत कीन गें रहै, जेहिमा एक दिन के मजदूरी दुई सौ बीस रुपिया दे का कहा गा रहै पै या योजना के तेरह साल बादौ भी बेरोजगारी चारों कइत है एन साल से बांदा जिला के ओरन गांव माँ मनरेगा के मजदूरी मड़इन का नहीं मिली आय अउर हेंया के मड़ई अबै भी रोजगार खातिर भटकत हैं।
मैयादीन का कहब है कि हेंया मजदूरी नहीं मिलत तौ बाहर जायें का पड़त है, हेंया के बहुतै मड़ई बाहर जात हैं। ओमप्रकाश बताइस कि हेंया चकबंदी नहीं आय तौ हेंया काम नहीं चलत आय। यहै कारन जाबकार्ड होय के बादौ काम नहीं मिलत आय। बिजरनिया समेत कइयौ मड़ई बताइन कि हमें बहुतै दिन से काम नहीं मिला आय। कउनौ भूखा पड़ा हो चाहे पियासा, हेंया कउनौ का काम नहीं मिलत आय।
रोजगार सेवक घनश्याम तिवारी का कहब है कि कउनौ मड़ई काम मंगिहैं तौ वहिका पन्द्रह दिना मा काम दीन जई।
रिपोर्टर- गीता देवी