जिला बांदा, ब्लाक तिंदवारी, गांव बछेरा। हेंया 2007 मा मनरेगा का काम भा रहै। एक साल होय के बादौ प्रधान अबै तक मजदूरन के मजदूरी नहीं दिहिस आय। मड़ई उधार अउर कर्जा लइके आपन घर चलावत हैं। मड़इन का आरोप है कि प्रधान हमार रुपिया खा लिहिस है। 2017 मा मनरेगा योजना मा अड़तालीस हजार करोड़ रुपिया डाला गा रहै, पै या रुपिया का असर मजदूरी मा नहीं देखाई पड़त आय। उत्तर प्रदेश समेत कइयौ राज्य मा रोज के हिसाब से एक रुपिया मजदूरी बढ़ाई गे हैं। पै मड़इन का या मजदूरी नहीं नसीब होत आय।
रामराज का कहब है कि हम प्रधान से कहे हन तौ वा कहत है कि जउन मजदूरी मिलै का रही है तौ मिल गें। मैं एक सौ तैतालिस खन्ती का काम करेहौं जेहिमा से उनतिस खन्ती का रुपिया नहीं मिला आय। जेठ महीना के धूप मा बहुतै मेहनत कइके खून पसीना मा कमावा रुपिया नहीं मिलत आय। शांति देवी का कहब है कि मई- जून के महीना मा काम कीने रहिहौं, हुंवा कउनौ सुविधा नहीं मिलत रहै। गिरजा बताइस कि इनतान के धूप-लुआर मा काम कीने हन, पै हमार रुपिया नहीं देत आय। पचास खंती का काम करेहौं पै एकौ रुपिया नहीं मिला आय। तेजरानी का कहब है कि मजदूरी न मिलै के कारन कर्जा लइके खर्चा चलाइत है। गुरुप्रसाद बताइस कि प्रधान रास्ता मा काम कराइस रहै, तबै लगभग पचास मजदूर काम करिन रहै। प्रधान रुपिया निकाल के आपन घर बनावत है पै मजदूरन के मजदूरी नहीं देत आय।
बीडीओ अउर सचिव से कइयौ दरकी बात करै के कोशिश कीन गे है पै बात नहीं होइ पाई आय।
रिपोर्टर- शिवदेवी
Published on Feb 15, 2018