जिला बांदा, शहर बांदा हेंया के होम गार्ड अपने मांगन का लइके एडी.एम.का ज्ञापन दिहिन। कहिन कि अगर हमार मांग पूर न होई तौ लखनऊ मा जा के धरना प्रदर्शन करबे अउर साथै कार्य बहिष्कार कीन जई।
होमगार्ड हरिओम दिवेदी का कहब है कि आज हम लोग एडी.एम. का ज्ञापन दीने हन। मंहगाई तौ रोजै बढ़त जात है,पै सरकार हमार वेतन नहीं बढ़ावत आय।यहिसे वेतन कम होय से घर का खर्चा नहीं पूर होत है।
बंश गोपाल यादव का कहब है कि होमगार्ड पुलिस के साथ कंधे से कन्धा मिला के चलत हैं। उनके साथैै रात दिन िडयूटी करित हन। तबहूं सरकार हमका कम वेतन देत है।
बिनीत बाबू का कहब है कि हमार छह महीना भी िडयूटी नहीं लगाई जात है। एक दिन मा कुल तीन सौ रुपिया मिलत है। येत्ते रुपिया मा का होत है।
राकेश कुमार का कहब है कि हम होम गार्डन का पुलिस के बराबर वेतन मिलै का चाही।
दादू राम का कहब है कि अगर हमार िडयूटी लागत है तौ पुलिस का दुई हजार रुपिया दें का परत है। यहिसे मज़बूरी मा रिक्शा चलावै का परत है।
उषा पाण्डेय का कहब है कि मैं 97 सन से नौकरी करत हौं। अबै तक वेतन नहीं बढ़ी आय। कम वेतन मा का होत है तौ येत्ते रुपिया मा का होत है। बच्चन के दवाई,पढ़ाई लिखाई लिखाई नहीं होई पावत है।
सिटी मजिस्ट्रेट राकेश कुमार श्रीवास्तव कहिन कि ज्ञापन लइ लीन गा है। उनके मांग सरकार पूर कइ सकत है ।
होमगार्ड हरिओम दिवेदी का कहब है कि आज हम लोग एडी.एम. का ज्ञापन दीने हन। मंहगाई तौ रोजै बढ़त जात है,पै सरकार हमार वेतन नहीं बढ़ावत आय।यहिसे वेतन कम होय से घर का खर्चा नहीं पूर होत है।
बंश गोपाल यादव का कहब है कि होमगार्ड पुलिस के साथ कंधे से कन्धा मिला के चलत हैं। उनके साथैै रात दिन िडयूटी करित हन। तबहूं सरकार हमका कम वेतन देत है।
बिनीत बाबू का कहब है कि हमार छह महीना भी िडयूटी नहीं लगाई जात है। एक दिन मा कुल तीन सौ रुपिया मिलत है। येत्ते रुपिया मा का होत है।
राकेश कुमार का कहब है कि हम होम गार्डन का पुलिस के बराबर वेतन मिलै का चाही।
दादू राम का कहब है कि अगर हमार िडयूटी लागत है तौ पुलिस का दुई हजार रुपिया दें का परत है। यहिसे मज़बूरी मा रिक्शा चलावै का परत है।
उषा पाण्डेय का कहब है कि मैं 97 सन से नौकरी करत हौं। अबै तक वेतन नहीं बढ़ी आय। कम वेतन मा का होत है तौ येत्ते रुपिया मा का होत है। बच्चन के दवाई,पढ़ाई लिखाई लिखाई नहीं होई पावत है।
सिटी मजिस्ट्रेट राकेश कुमार श्रीवास्तव कहिन कि ज्ञापन लइ लीन गा है। उनके मांग सरकार पूर कइ सकत है ।
रिपोर्टर- गीता
03/08/2016 को प्रकाशित
‘वर्दी उतारकर रिक्शा चलाते हैं, पेट तो पालना ही है’
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