बर्ड फ्लू पक्षियों में होने वाला ऐसा संक्रामक रोग है जिसके दो रूप इंसानों के लिए खतरनाक हैं। ये हैं एच5एन1 और एच7एन9।भारत में इनसे अलग वायरस एच5एन8 की ही पुष्टि हुई है।
एच5एन1 सबसे तेजी से फैलने वाला बर्ड फ्लू वायरस है। इस वायरस से बचाव के लिए इंसानों में पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती। सामान्य इंफ्लूएंजा जैसे लक्षणों के साथ शुरू होने वाला यह बुखार फेफड़ों में संक्रमण पैदा करता है और रोगी को निमोनिया होने के अलावा सांस लेने में भी परेशानी होने लगती है। ज्यादा गंभीर संक्रमण होने से मरीज के गुर्दे व अन्य अंग नाकाम हो जाते हैं, जिससे उसकी मौत की आशंका रहती है।
मांसाहार की बढ़ती प्रवृत्ति के चलते देखा जा रहा है कि पिछले एक दशक से हमारे देश में प्राय: हर साल कहीं न कहीं बर्ड फ्लू के लक्षण दिखाई देते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अच्छी तरह से पका हुआ चिकन और अन्य किसी पोल्ट्री पक्षी का अच्छी तरह से पका हुआ मांस खाना सुरक्षित है।
इस अरसे में पहली बार यह संक्रामक बीमारी 2005 में गुजरात और महाराष्ट्र में फैली थी, जिससे पोल्ट्री उद्योग का दिवाला ही निकल गया था। इसके अगले ही साल देश के विभिन्न हिस्सों में बर्ड फ्लू की आमद के साथ ही संक्रमण से निपटने के उपाय शुरू किए गए थे और करीब दस लाख पक्षियों (ज्यादातर मुर्गा-मुर्गियों) को मारा गया था। इसके बाद 2008 में एक बार फिर बर्ड फ्लू की दहशत रही थी और करीब पचास लाख पक्षियों को मार कर जलाने के बाद यह बीमारी काबू में आई थी। इसके बाद के वर्षों में पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम, मेघालय, ओड़िशा, कर्नाटक, झारखंड, बिहार, केरल, पंजाब और अब दिल्ली तक में बर्ड फ्लू का खतरा मंडरा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य अधिकारी डेविड नेबारो कुछ वर्ष पहले यह चेतावनी दे चुके हैं कि बर्ड फ्लू वायरस एच5एन1 के कारण पचास लाख से पंद्रह करोड़ लोग तक मारे जा सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि बर्ड फ्लू के वायरस से एक जीव प्रजाति से दूसरी जीव प्रजाति तक फैलने वाला संक्रमण होता है। बर्ड फ्लू की बीमारी ने साबित किया है कि इंसान यह मान कर निश्चिंत नहीं हो सकता कि जो बीमारियां पशु-पक्षियों को होती हैं, वे उसे नहीं हो सकतीं।