सीतामढ़ी अउर शिवहर जिला में अभी तक बरसा न होये के कारण किसान लोग कहूं के न छथिन। पिछले साल के तरह ऐई साल भी सुखार के सम्भावना हो रहल हई। अभी तक तीस प्रतिशत खेत ही लोग पानी पटा के रोपले छथिन। लेकिन ओहु में दरार फाटल हई।
किसान लोग भीखारी महतो, रामबाबू शर्मा, सहदेव महतो कहलथिन कि एतना महंगाई जमाना में अब खेती करनाई बड़ी मुश्किल के बात हो गेल हई। ट्रेक्टर के जोताई, बोडिंग से पानी पटाई अउर मजदूर के मजदूरी सब खर्चा कके हमसब दु चार कठा खेत रोपबो कईली ओई में दरारे पर गेल हई। अब दोबारा पानी पटावे के शक्ति हमरा सब के न हई। एक त बरसा के लेल दिन-रात रास्ता देख रहल छी कि कहिया बरसा होतई सरकारी सिचाई के भी कोई व्यवस्था न हई। जहां कहि स्टेट बोडिंग हई भी उ खराबे या बिजली न रहे के कारण थप परल हई। अगर पिछले साल के तरह एई साल भी धान होतई तब किसान लोग भूखमरी के कगार पर आ जतई। जेई किसान के खेत न रोपायल हई उ त चिंतित छिते छथिन लेकिन सबसे ज्यादा चिंता में उ लोग छथिन जे काफी रूपईया खर्च कके रोपनी कलथिन उनका अब दोबारा पानी पटावे के हिम्मत न हई। अगर सरकार डिजल अनुदान न देथिन त कुछो धान न होतई। किसान मोहन झा कहलथिन कि उपर वाला नाराज हईय हई लेकिन निचे के अधिकारी भी कम न छथिन। फसल के बीमा भेल रहई पर कोई किसान कि बीमा के लाभ न मिल पलई। हर साल इहे होई छई कि वर्षा न होये से किसान बेमौत मर रहल हई। अउर सरकार से अपेक्षित सहयो न मिलतई त किसान खेती करनाई छोड़ देतई।
जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार झा कहलथिन कि धान के पटवन करके किसान डीजल के रसीद अपना पास रखें, विभाग डीजल अनुदान के लेल विचार कर रहल छथिन। बारिस के स्थिति से विभाग से लगातार अवगत करायल जा रहल हई।
बरसा के राह देखईत किसान
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