अगर आबादी ऐसे ही बढ़ती रही और पानी ऐसे ही खर्च होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हम पानी पानी को मोहताज हो जाएंगे।
डब्ल्यू.आर.ई.एस. वाॅटर नाम की पत्रिका में यह शोध छपा है। हालांकि इस शोध में यह भी कहा गया है कि 1980 के बाद प्रति व्यक्ति पानी की खपत में कमी आई है। इसका कारण लोगों में जागरुकता का होना है। लेकिन बढ़ती आबादी के कारण दुनिया के हर व्यक्ति के हिस्से में पढ़ने वाला पानी लगातार घटता जा रहा हैै।
ड्यूक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एनटोनी पारोलेरी ने बाताया कि 2050 में विश्व की आबदी करीब ढाई अरब बढ़कर नौ अरब छह करोड़ हो जाएगी। ऐसे में प्रति व्यक्ति मिलने वाला पानी और कम हो जाएगा। पारलोरी के अनुसार पानी का संरक्षण नहीं हो रहा है। आबादी बढ़ रही है। ऐसे में मौजूदा आबादी पानी के इस्तेमाल में कितनी कमी लाएगी? बढ़ती आबादी के लिए यह पानी पर्याप्त नहीं होगा। ऐसे में ज़रूरत है कि पानी की खपत में कमी लाने के साथ हम पानी के संरक्षण के लिए नई नई विधियां भी खोजें।