अनीता भरती चर्चित कहानी कार आलोचक व कवित्री हैं। सामाजिक कार्यकताओं एवं दलित महिलाओं के मुद्दों पर लेखन का काम करती है। 12 मार्च का रविवार भी हर रविवार की तरह था। पर चेन्नई के त्रिचूर जिले के उदमलपेठ गांव के लिए यह बहुत भयानक रविवार गुजरा क्योंकि इसी गांव के व्यस्तम बस स्टॉप पर सवर्ण जाति के लोगों ने भरी बस से खींचकर एक दलित इंजीनियर शंकर की दिन-दहाड़े सबके सामने हत्या कर दी। शंकर का कसूर बस इतना था कि उसने एक सवर्ण जाति की लड़की कौशल्या से अंतर्जातीय विवाह किया था। दोनों ही एक प्राईवेट इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ते थे। जहां दोस्ती के बाद प्यार हुआ और फिर शादी।
सवर्ण जाति में पैदा होकर प्रगतिशील विचारों की धनी कौशल्या का अपनी इच्छा से शादी करने का परिणाम अपने पति शंकर की हत्या के रुप में मिला। कौशल्या के परिवार वालों ने न सिर्फ शंकर की हत्या की बल्कि उन्होंने अपनी बेटी को भी नही बख्शा। पति शंकर को बचाने आई कौशल्या को भी खूब मारा-पीटा गया।
कौशल्या और शंकर ने आठ महीने पहले ही जातिवाद की सारी दीवारें तोड़कर शादी की थी। तीन महीने पहले भी कौशल्या को उसके दादा ने अपहरण कर घर में कैद कर लिया था। तब शंकर ने कौशल्या को पुलिस की मदद से रिहा कराया था।
शादी के बाद से दोनों को कौशल्या का परिवार बार-बार प्रताडि़त कर रहा था। शंकर ने पुलिस में इस बात की शिकायत भी कराई थी लेकिन पुलिस ने इस बात को अनदेखा कर लापरवाही बरती। जिसके कारण शंकर की हत्या कर दी गई।
बेहद आश्चर्य और दुख की बात है कि जैसे-जैसे समाज तथाकथित रूप से उन्नत और प्रगतिशील हो रहा है वैसे ही समाज जातिगत दलदल में धंसता जा रहा है। जहाँ पूरे विश्व में मानव समानता और भाईचारे को बढ़ाने के लिए तरह से कदम उठाए जा रहे है वहीं भारत में जातिय हिंसा और नफरत अपने चरम पर पहुँच रही है। इसी जातीय नफरत और पूर्वाग्रह के कारण ही सदियों से एक सुंदर, मुक्त और स्वतंत्र भारत की छवि बार-बार पूरे विश्व भर में धूमिल होती जा रही है।