जिला वाराणसी, ब्लाक चोलापुर गांव तिवारीपुर कुम्हार बस्ती। इहां के लगभग दस घर के लोग कई पीढ़ी से मिट्टी के बर्तन बनावे के काम करअलन। आउर एही काम से उ लोग के परिवार चलअला। लेकिन इ लोग के काम अब मुश्किल में पड़ गयल हव।
मिटटी के बर्तन बनावे वाले शान्ति देवी, पुनवासी, श्यामा देवी, राधेश्याम समेत कई लोग बतइलन कि हमनी मिट्टी के बर्तन बनावे के काम करीला। पहिले जब हमने मिट्टी के बर्तन बनावत रहे तो परिवार के खर्चा आराम से चल जात रहल। लेकिन जब से प्लास्टिक के बर्तन बाजार में भर मार भयल हव तब से हमनी के पेट चलब मुश्किल हो गयल हव। एक तो एमें एतना मेहनत करे के पड़अला मिट्टी दूर से खन के लियावे के पड़अला। मलाई के तरे चिकनावे के पड़अला। फिर चाक पे रख के ओके बर्तन के आकार देवे के रहअला। तब ओके सुखवावे के पड़अला आउर आवा में रख के पकावल जाला। ओहू में पूरा तइयार होत होत आधा फुट जाला। मिट्टी के बर्तन में एतना मेहनत करे के बावजूद भी पेट चले के आगम नाहीं रहत। प्लास्टिक के बर्तन आउर इ फैशन तो हमनी के पेटे पे लात मारत हव।
फैशन करत परेशान
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