जि़ला चित्रकूट, बरगढ़। बरगढ़ क्षेत्र में कोई मेला हो या कोई प्रोग्राम मनोहर आपको हर जगह दिखेंगे।
मनोहर फूल बेचने का काम करते हैं। यह काम उनकी पीढि़यों से चला आ रहा है। रोज़ सुबह चार बजे उठकर वे फूल तोड़ने का काम करते हैं। अगर आसपास फूल नहीं मिलते तो वे इलाहाबाद से फूल लाने का काम करते हैं। मनोहर ने कहा, ‘‘इतनी बेरोज़गारी है कि कोई भी रोज़गार नहीं मिलता है इसलिए मैं अपना फूल बेचने का काम पिछले दस साल से कर रहा हूं। ज़्यादातर फूल बेचने का काम मंदिरों में हो जाता है, मेले के समय ज़्यादा कमाई हो जाती है। क्योंकि लोग मेला देखने आते हैं, भगवान के दर्शन भी करते हैं। हर रोज़ तो ज़्यादा बिक्री नहीं होती है। एक फूल 5 रूपये में बिकता है। कुल मिलाकर दिन भर में पचास से सौ रूपए मिल जाते हैं। दिन भर धूप में लोगों का इंतज़ार करने के बाद आशा लगी रहती है कि और लोग आएंगे। पर अब ज़्यादातर लोग अपने घरों से फूल पत्ती ले आते हैं। इसलिए कम बिक्री होती है। लोग फूल तब ही लेते हैं जब उनको जूता या चप्पल उतारने होते हैं। क्योंकि कहीं और उतरेंगे तो खो जाएंगे। इसलिए फूल लेकर अपना सामान मेरे पास रखकर जाते हैं।’’
फूल बेच कर चलाता हूं परिवार
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