जिला वाराणसी, ब्लाक चिरईगावं, गावं शंकरपुर।इहाँ के दलित बस्ती में दस घर हव जवन कि इहाँ के मेहरारू आउर लइकिन फूल के माला बनावलीन। एक या दू गट्ठर सबेरे से शाम तक बना लेवेलीन।
सुनीता, कमला, पूनम, सावित्री समेत आउर कई लोग कहब हव कि हमनी हर सीजन में फूल के माला बनाइला। आउर एकर सौ माला के पांच रूपया मिलला। इ काम अलग अलग में होला। इहाँ के मेहरारू के कहब हव कि हमनी घर बैइठल कारी कुछ आपन खर्चा निकल आवला अइसे त बस इहाँ वहां जाके बइठब ना करब। हमनी गेंदा, टेंगरी, गुलाब, गुड़हल आउर कई फुल के माला बनाइला। इ जेकर खेत में फूल होला उ हमनी के घरे फूल तोड़ के पहुंचा देलन। अगर खेत में ज्यादा फूल हो जाला त हमनी के तोड़े खातिर भी बुलावलन। जेकर अलग से मजदूरी एक दिन के साठ रूपया देवेलन। लइकिन जब स्कूल से पढ़ के आवलीन त इ काम में हाथ बटावलीन। ओन लोग के उम्र चैदह पन्द्रह साल होई। खेती करे वाले कल्लू, संजय के कहब हव इ त हमनी के खेत हव। जितना य लोग माला बनावलीन आउर काम करलीन हिसाब से पइसा देईला। गावं के लइकिन आउर मेहरारू भी इ काम में खुश रहलीन। दिल लगा के माला गुहे के काम करलीन।
फूल के माला बनावत लइकिन आउर मेहरारू
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