कुछ हफ्ते पहले एक फिल्म आई – ‘मार्गरीटा विद अ स्ट्रौ’। अलग से नाम वाली ये फिल्म भी काफी अलग निकली।
पहले तो फिल्म का नाम – मार्गरीटा पीने वाली एक ड्रिंक का नाम है जो शराब और नीम्बू को मिलाकर बनाई जाती है। इस फिल्म का नाम हिरोइन के डायलौग पर आधारित जब वो एक रेस्टोरेंट में वेटर से एक गिलास में मार्गरीटा मांगती है और फिर इसे पीने के लिए मांगती है एक स्ट्रौ या पाइप। क्यों? क्योंके ये लड़की अपने हाथ और लोगों की तरह गिलास जैसी चीज़्ों उठाने के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकती।
फिल्म में कालकी (जिन्हें ‘देव डी’ फिल्म में पहली बार देखा गया था) ने इस लड़की का किरदार बखूबी निभाया। कालकी के किरदार लैला को ‘सेरिब्रल पाॅल्सी’ है। ‘सेरिब्रल पाॅल्सी’ में इंसान के दिमाग और हाथ-पैर के बीच जो जोड़ है, समझिए वो बिगड़ जाता है। इंसान सब कुछ सोच-समझ सकता है पर उसके हाथ-पैर ठीक से नहीं काम करते और वह थोड़ा तुतलाकर बोलता है।
लैला के किरदार के माध्यम से फिल्म की निदेशक शोनाली बोस ने कई मुश्किल सवाल उठाए – क्या एक लड़की जो चल-फिर नहीं सकती, उसकी शारीरिक और मानसिक इच्छाएं और लड़कियों से अलग होती हैं? क्या व्हीलचेयर में बैठी लड़की को प्यार हो सकता है? क्या वो विदेश में पढ़ने का सपना देखकर उसे साकार करने के बारे में सोच सकती है? क्या उसकी आज़्ाादी उतनी ही एहम है जितनी किसी और लड़की की है?
इन सवालों के जवाबों को लैला के रिश्तों के ज़्ारिए दिखाने की कोशिश दिल को छू लेती है। उसकी मां और उसके दोस्त फिल्म में महत्त्वपूर्ण किरदार हैं।