अति हर चीज़ की बुरी होती है चाहे फिर वह आपकी शराफत ही क्यों न हो। इस फिल्म के ज़रिए यही समझाने की कोशिश की गई है। फिल्म में पृथ्वी खुराना बने हीरो जाएद खान सीधे साधे इंसान हैं।
पृथ्वी की एक गर्ल फ्रैंड है। बेचारे उसके साथ अपने वैवाहिक जीवन के सपने बुनते रहते हैं। ‘आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपइया’ की कहावत इनके लिए सटीक बैठती है। जितना कमाओ उसका ज्यादा हिस्सा बचाओ। दूसरी तरफ हैं इनके दोस्त सैम यानी हीरो रणविजय सिंह। बिल्कुल इनके उलटे। कमाओ या न कमाओ पर जिसका मिले उसका उड़ाओ। लेकिन एक दिन पृथ्वी दाऊद जैसे डान के फंदे में फंस जाते हैं। होता यह है कि पृथ्वी के अकाउंट में सौ करोड़ रुपए आ जाते हैं। पृथ्वी और सैम अचानक आए इस धन को लेकर सोच ही रहे थे कि एक फान आता है। पृथ्वी के फोन पर यह काल दाऊद के लोगों ने की थी। वह इन पैसों को किसी व्यक्ति तक पहुंचाना चाहता है। बस यहीं से शुरू होती है पृथ्वी और सैम की भागमभाग। इस बीच इस मामले में किसी न किसी तरह से शामिल लोगों के चेहरे सामने आते हैं। इस फिल्म के निर्देशक गुरमीत सिंह हैं।
फिल्मी दुनिया से – शराफत गई तेल लेने…
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