कलाकार – ऋचा चड्ढा, विकी कौशल, संजय मिश्रा, श्वेता त्रिपाठी
निर्देषक – नीरज घेवान
संगीत – इंडियन ओशन
एक लम्बे समय के बाद बाॅलीवुड में एक ऐसी फिल्म आई है जो कई जटिल मुद्दों पर आधारित है लेकिन सबके दिलों को छू जाएगी। बनारस शहर के घाटों में घटती इस कहानी को देखने वाले बड़ी आसानी से इसे अपनी जि़्ान्दगी से जोड़ पाएंगे।
फिल्म में दो कहानियां हैं। एक कहानी है देवी (ऋचा चड्ढा) की। देवी को पुलिस एक होटल के कमरे में एक लड़के के साथ पकड़ लेती है। पुलिस इंस्पेक्टर दोनों का अश्लील वीडियो सार्वजनिक करने की धमकी देता है। लड़का घबराहट में वहीं आत्महत्या कर लेता है। इंस्पेक्टर लड़के की आत्महत्या का आरोप देवी पर थोपने की कोशिश करता है। उसके गरीब पंडित पिता से मामला दबाने के लिए तीन लाख रुपए की मांग करता है।
दूसरी कहानी है एक जवान प्रेमी जोड़े की। एक सम्पन्न गुप्ता परिवार की लड़की और बनारस के हरिश्चंद्र घाट पर लाश जलाने वाला डोम जाति का लड़का एक दूसरे से प्यार करते हैं। लड़का जानता है कि शायद समाज इस रिश्ते को कभी ना अपनाए। लेकिन अचानक एक दुर्घटना में इस लड़की की मृत्यु हो जाती है और उसकी लाश वहीं उसी घाट पर अंतिम संस्कार के लिए पहुंचती है।
किसी को खोने का दुख, छोटे शहरों में जातिगत मानसिकता और कैसे समय कभी नहीं रुकता – ऐसे असल संघर्षों पर आधारित ये फिल्म बनारस शहर को भी बखूबी दर्शाती है। बनारस निवासी राहुल वर्मा बताते हैं कि कहानी में वाकई बनारस की सच्चाई को दिखाया गया है पर उन्हें कहानी का अंत बहुत दुखद लगा। जो भी हो, फिल्म एक बार ज़रूर देखें।