नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में तीन लोगों की मौत की सज़ा को सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया है।
तमिलनाडु के निवासियों संथन, मुरुगन और परारीवालन को अदालत ने 1998 में मौत की सज़ा सुनाई थी। साल 2000 में इन लोगों ने राष्ट्रपति के माफी की अर्जी दी थी। लेकिन 2011 में इसे खारिज कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह फैसला दिया है। पी सदाशिवम ने कहा यह फैसला मौत की सजा को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अभी तो देश में मौत की सजा पर रोक नहीं है, लेकिन आगे शायत कुछ और ऐसे ही महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकें।सज़ा काट रहे लोगों जिन्होंने माफी की अर्जी लगाई थी, के वकील युग मोहित चैधरी ने कहा कि सरकार ने सज़ा देने में होने वाली देरी के बार में कोई सफाई नहीं दी है।
सभी सात दोषी 1991 से ही जेल में थे। उधर तमिलनाडू की सरकार ने इन लोगों को रिहा करने की सिफारिश की थी। लेकिन उनकी इस मांग को सुप्रीम कोर्ट ने अभी नहीं माना है।
फांसी की सजा उम्र कैद में बदली
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