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एक वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से परिचालित किया जा रहा है, जिसमें एक लड़का तिरंगा फाड़ते हुए कह रहा है, “पक्का मुसलमान हूँ।” एक ट्विटर हैंडल, @AnuMishraBJP, यह वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा- “भारत के राष्ट्रीय ध्वज को फाड़ के फेंक दिया इस लड़के ने कह रहा है…. कि “पक्का मुसलमान हूँ।” ये मानसिकता कहाँ से पैदा हो रही है? इसे 2300 से अधिक बार रीट्वीट और 2800 से अधिक बार लाइक किया गया है।
कि “पक्का मुसलमान हूँ”
ये मानसिकता कहाँ से पैदा हो रही है?@sardanarohit@KapilMishra_IND@TajinderBaggapic.twitter.com/AwFBDp0LsW
— Rohit Sardana (@AnuMishraBJP) August 20, 2018
एक और वीडियो को ट्विटर यूजर @pokerhash द्वारा पोस्ट किया गया, जिसे 20,000 से अधिक बार देखा गया है। इस वीडियो में, इस वीडियो में लड़के के माफी मांगते वक्त लोगों को गालियां देते और मारते हुए देखा जा सकता है।
सुदर्शन न्यूज के सीएमडी और प्रमुख संपादक सुरेश चव्हाणके ने भी वीडियो का एक लंबा संस्करण ट्वीट किया है जिसमें लड़के से दुर्व्यवहार करके माफी मंगवाया जा रहा है और बलपूर्वक “पक्का हिंदू हूँ” कहने के लिए भी कहा जा रहा है। इस ट्वीट को 1900 से अधिक बार रीट्वीट किया गया और 3600 से अधिक ‘लाइक’ मिले हैं।
एक फेसबुक यूजर, एस.के. चौधरी ने भी उपरोक्त दो वीडियो साझा किए, जिन्हें 3 लाख से अधिक बार देखा गया है।
नकली समाचारों के एक वेबसाइट, दैनिक भारत ने 20 अगस्त, 2018 को इस मुद्दे के संबंध में एक लेख पोस्ट किया था।
सच्चाई क्या है?
यह घटना सूरत, गुजरात की है। द टाइम्स ऑफ इंडिया में 20 अगस्त, 2018 को प्रकाशित एक लेख में कहा गया है, “एक युवा लड़का, जो अल्पसंख्यक समुदाय से होने का दावा करता है, को वीडियो में कागज का झंडा फाड़ते हुए देखा जाता है। पुलिस ने अमरोली से लड़के और एक और किशोर का पता लगाया और उन्हें अपने परिवार के सदस्यों के साथ पुलिस स्टेशन में बुलाया।” (अनुवाद)
ऑल्ट न्यूज़ को दिए गए एक बयान में, जी.ए. पटेल, पुलिस इंस्पेक्टर, अमरोली पुलिस स्टेशन (सूरत) ने स्पष्ट किया, “दोनों लड़के दोस्त हैं और हिंदू समुदाय के हैं। लड़कों ने अपने बचकाना रवैये के लिए माफ़ी भी मांगी है।”
जैसा कि बाद में यह पता चला है, हिंदू समुदाय के दो लड़कों ने प्रैंक (मजाक) में तिरंगे को फाड़ने का वीडियो बनाया और कहा कि वे मुस्लिम समुदाय से हैं। वीडियो के भड़काऊ कंटेट की वजह से वीडियो को जमकर शेयर किया गया। ऐसे विभाजनकारी झुंडों में किशोरों का शामिल होना भारतीय समाज में धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रतिबिंब है।
साभार: ऑल्ट न्यूज़