यूपी के 50 सूखा ग्रस्त जिलों में सबसे ज्यादा प्रभावित महोबा जिला माना जा रहा है। लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि महोबा में पानी की कोई कमी नहीं हैं। इनकी बातों में कितना सच हैं? खबर लहरिया की पत्रकार जिले के उन गांवों की खबर पेश कर रहें हैं जहां पानी का संकट तीव्र हो चुका हैं।
जिला महोबा, ब्लाक कबरई , गांव खन्ना। खन्ना गांव पानी की किल्लत का सबसे बड़ा उदहारण है। इस गांव के लोग गड्ढे का पानी पीने को मजबूर हैं। इस गांव की दलित बस्ती में 1200 की आबादी है। गांव की आबादी के आगे मात्र एक हैंडपंप हैं, जिसमें खारा पानी आता है।
इस गांव की अंजना बताती हैं कि उनके कस्बे में तीन बड़े तालाब हैं। लेकिन पानी किसी में भी नहीं। यहां पास ही चन्द्रावल नदी भी है। पर वो भी सूखी पड़ी है। पहले नदी भरी रहती थी तो लोग नदी का पानी पीते थे, लेकिन पिछले तीन साल से लगातार पड़ रहे सूखे ने नदी का भी नामोनिशान मिटा दिया है।
हालात इसलिए भी ज्यादा खराब है क्योंकि यहां कोई टैंकर नही आता। नदी में जो गड्ढे पानी से भरे रह गये हैं बस वहीं से पानी भर कर ला रहे हैं। जब वो गड्ढा भी सूख जाता है तो नया गड्ढा खोदते हैं। कस्बे की रहने वाली कमला बताती है कि मेरे एक भैंस और दो गाय हैं। जानवरों के लिए और परिवार के लिए हम रोज एक गड्ढा खोदते हैं। लेकिन जब वहां भी पानी खत्म हो जाता है तो पास के गुढ़ा गांव से पानी लाते हैं।
पानी भरने के चक्कर में कई बार लड़कियों को छेड़खानी और गाली-गलौज जैसी समस्या का भी सामना करना पड़ता है।
कारेलाल ने बताया कि मेरा सात लोगों का परिवार है। दिन भर में पचास लीटर पानी हम सब मिल कर इस्तेमाल करते हैं। हालांकि यहां दो टयूबवेल हैं, जिसमें से एक सही है। लेकिन बिजली न होने के कारण पानी नहीं मिल पाता। अभी ऐसी हालत हो गई है कि एक दिन का भरा हुआ पानी हम चार दिन तक उपयोग करते हैं। जब यहां भी कुछ नही मिलता तब नदी के गड्ढों का गंदा पानी कपड़े से छान कर पीते हैं।
पानी की कमी के कारण इस गांव में शादियां भी नहीं हो रहीं हैं। अभी हाल ही में गांव में दयावंती की शादी हुई है। जिसकी बारात गंदे पानी को देख कर लौट गयी थी। लेकिन शादी हुई और अब ससुराली जन उसे बदनामी कराने का ताने देते हैं। बस्ती की बिंदी बताती है कि हमारे यहां आधे से ज्यादा लड़के कुंवारे हैं। बिना पानी के कोई भी अपनी लड़की इस गांव को नहीं देना चाहता।
वार्ड नंबर 15 के सदस्य अर्जुन बताते हैं कि पानी न होने के कारण जहां जैसा पानी मिल रहा है वही इस्तेमाल करने को मजबूर हो गये हैं। यहां के गंदे और बदबूदार पानी को पी कर सब बीमार पड़ रहे हैं। डॉक्टर भी इसमें कुछ नही कर पा रहे हैं।
प्रधान सुमन सिंह बताती हैं कि इस गांव की आबादी साढ़े पांच हजार है। कुल इक्कीस हैण्डपम्प लगे है। जिसमें से एक भी चालू अवस्था में नहीं है। हमने कई बार सचिव से कहा लेकिन वो अनसुना कर देता है। वहीं, दूसरी बस्ती के लोग चंदा जमा करके प्राइवेट टैंकर को मंगाते हैं। खन्ना जल संस्थान के जे.ई का कहना है कि जो खराब टूयबवैल को जल्द ही सही कराने की व्यवस्था की जा रही है साथ ही रिबोर का काम शुरू कर दिया जाएगा।
रिपोर्ट – प्रियंका सिंह