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प्यार, जो तूने किया, मैंने किया…

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मैं अंजली। मेरी शादी कामयाब नहीं रही, इसी वजह से अपने पति से अलग हो गयी और खुद नौकरी कर अपने बच्चों को पाला-पोसा। इस दौरान मुझे अपने लिए एक घर चाहिये था जो मुझे आसानी से मेरे ही पुराने मोहल्ले में मिल गया, जहाँ मेरा बचपन गुज़रा था। एक दिन मैं अपने आँगन में थी तो मुझे महसूस हुआ कि कोई मुझे देख रहा है। मैंने सामने देखा तो एक लड़का सामने वाली छत से मुझे घूरे जा रहा था। यह अक्सर होता था और मैं यूंही अनदेखा करती जा रही थी। एक दिन मैं साधन के इंतज़ार में खड़ी थी कि मुझे वही लड़का दिखाई दिया और मुझे अपनी बाइक पर बैठने के लिए कहने लगा। मेरे बार-बार मना करने के बाद भी जब वो नहीं माना तो मैं बैठ गयी। रात भी होने ही वाली थी क्या करती और कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। उसने रास्ते में मुझसे मेरा नम्बर माँगा लेकिन मैंने नहीं दिया।
इसी बीच, मेरे पति के साथ मेरा समझौता हो गया और मैं ससूराल चली गई। तीन-चार साल बाद फिर अलग हुए और मैं वापस उसी मकान में आ गयी। मैं पहले का सब कुछ भूल चुकी थी लेकिन वो नहीं भूला था। मुझे देख कर उसने फिर से मेरा नम्बर माँगा और इस बार न जाने कैसे मैंने नम्बर दे दिया और जब उसका फ़ोन आया मैं सन्न रह गयी, समझ नहीं आया क्या बात करूं। उसने कहा, मै बाहर हूँ, आ जाओ। तुम्हें घर छोड दूंगा। मैं डर गयी और तुरंत फ़ोन रख दिया।
फिर एक दिन उसने मुझसे दस मिनट बात करने की मिन्नत की। मैं भी मान गयी और कोई न देख पाए इसलिए हम रेलवे स्टेशन गये। वहां उसने मुझसे अपने प्रेम का इजहार किया और यह सुन कर तो मैं खामोश हो गयी। कुछ देर बाद मैंने उसे अपने बारे में सब बता दिया। तब उसने कहा, मैं सब जानता हूँ। तुम्हें बचपन से प्यार किया है लेकिन डरता था तुम्हारे पिता से कहने के लिए। प्यार आज भी है लेकिन हाँ, आज हम दोनों शादीशुदा हैं और हम किसी रिश्ते में नहीं बंध सकते। लेकिन मैं तुमसे सिर्फ प्यार करता हूँ और करते रहना चाहता हूँ।इसके बाद हम अक्सर मिलने लगे। मेरे पति ने मुझे छोड़ दिया, और अब उससे भी अलग हो गयी हूँ लेकिन आज जो है मैं खुश हूँ।