जिला चित्रकूट, ब्लाक मऊ, गांव छिवलहा। हिंया के रहै वाली चुन्नी आठ बरस से हाथ अउर गोड़ से विकलांग हवै, पै प्रधान एक बरस पहिले दुइ दरकी विकलांग पेंषन का फार्म भरवाइस हवै। तबहूं विकलांग पेंशन वा भी नहीं मिलत हवै।
हिंया के चुन्नी का कहब हवै कि विकलांग होय के बादौ विकलांग पेंशन नहीं मिलत आय। आठ बरस होइगे मोरे लकवा लाग गा रहै। मोर खातिर पता नहीं कि का सरकार के लगे रूपिया नहीं आय। काहे से मै दुइ दरकी फार्म भरे हौं। अबै एक महीना पहिले भी फार्म भरा गा, पै कउनौ ध्यान नही देत आय। प्रधान मोर फार्म कहां डार देत हवै। अगर मोहिका विकलांग पेंशन मिलै लागत तौ नींक होत। काहे से मैं कुछौ काम नहीं कइ सकत हांै। एक जघा घर मा बइठ रहत हौं। चल भी नहीं पावत हौं कि कर्वी जा के आपन फार्म भर सकौं।
प्रधान गुलाब चन्द्र का कहब हवै कि चुन्नी आपन विकलांग प्रमाण पत्र बनवावै। यहिके बाद वहिका विकलांग पेंशन का फार्म भरवावा जई। जबै तक विकलांग प्रमाण पत्र न बनी तबै तक वहिका विकलांग पेंशन न मिली।
पेंषन मिलै का चाही
पिछला लेख