जिला सीतामढ़ी, प्रखण्ड सोनबरसा,पंचायत, गांव इन्दरवा, वार्ड नम्बर एक के मिठू कुमार के उम्र बाईस साल हो गेलई। उ पुरा तरह से शारिरीक अउर मानसिक रूप से विकलांग छथिन। लेकिन उनका विकलांग प्रमाण-पत्र पर सिर्फ चालीस अंक मिलल हई।
उनकर माई माधूरी देवी, पिता सोनेलाल गोसाई कहलथिन कि बच्चा में जब जन्म लेलकई तब बहुत सुन्दर रहई। ऐही के लेल ओकर नाम मिठू रख देली। लेकिन कुछ दिन बाद में उ पुरा विकलांग हो गेलई। कोई होस न हई न चल सकई छई, न कुछ सही से बोल सकई छई। अपन क्रिया क्रम भी न कर सकई छई। जब हम मर जबई त कोन ऐकर सेवा करतई। एही के लेल हम एकर विकलांग प्रमाण-पत्र बनावे के लेल गेली त केतना बेर दउड़े के बाद जब अ प्रमाण-पत्र बनलई ओहु में चालीस अंक मिललई जबकि उ पुरा विकलांग हई। हम की करू ऐकरा पेंसन के अलावा अउर कोई सुविधा न मिलई छई। एगो इंदिराआवास भी न मिललई।
चिकित्सा प्रभारी पदाधिकारी डाॅक्टर रामप्रवेश कहलथिन कि अगर सही से अंक न मिलल हई त दुसरा विकलांग शिविर में उ आवेदन करथिन त उनका सही अंक के प्रमाण-पत्र देल जतई।
पुरे विकलांगता के चालीस प्रतिशत
पिछला लेख