जिला महोबा, ब्लाक कबरई, गांव गहरा। एते के किसान खा कर्जा पास होंय के बाद भी बैंक कर्जा नई देत हे। जीसे किसान आपन खेती बोंय खे परेशान हे।
किसान रामकृपाल सिंह कहत हे की दस एकड़ जमीन हे। पीढ़ीयन से खेती को काम होत हे। मोये ऊपर 31 हजार सात सौ पचहत्तर रूपये इलाहाबाद यू.पी. ग्रामीण बैंक को कर्जा हे। जभे की 30 जून खा 56 हजार रुपइया जमा करो हतो। काॅपरेटिव बैंक के समिति को सदस्य किसान हूं। फसल के लाने अस्सी हजार रुपइया लोन पास भओ हतो। जीमें से 32 हजार रुपइया लेके खरीफ की फसल बोई हती। पानी न बरसें के करन सब फसल सूख गई। मैं बाकी को रुपइया काॅपरेटिव बैंक से निकालें चाहता हों, पे ओते को प्रबंधक रुपइया नईं देत हे। रामकृपाल को आरोप हे की प्रबंधक पेहले खरीफ की फसल का कर्जा जमा करं खा कहत हे। परिवार के खायें के लाने व्यवस्था नई कर पाउत हे कर्जा किते से चुकाहों। अगर रवी की फसल बोंये के लाने कर्जा न बैंक देहें तो आत्महत्या करें के अलावा ओर कोनऊ रास्ता नइयां।
कबरई कस्बा में बनी हमीरपुर डिस्टीक काॅपरेटिव बैंक को प्रबंधक रजनीस कुमार श्रीवास्तव कहत हे समिति के द्वारा लोन पास होत हे। जीमे कछू नगद ओर बाकी की खाद दई जात हे। रामकृपाल हमाये समिति को सदस्य हे। पे जभे तक पिछली फसल वालो लोन न चुकाहे, ऊखे दुबारा सेे बैंक कर्जा नई दे सकत हे।