पीएनबी घोटाले के बाद रोटोमैक कलम बनाने वाली कंपनी ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के मालिक विक्रम कोठारी के ऊपर इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया समेत कई सार्वजनिक बैंकों के पैसे लेकर चंपत होने का आरोप है।
कानपुर के कारोबारी और रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के प्रमुख व प्रबंध निदेशक कोठारी ने सार्वजनिक क्षेत्र के पांच बैंकों से 800 करोड़ रुपये का ऋण लिया था।
कोठारी ने मुंबई की यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 485 करोड़ रुपये और कनपुर की इलाहाबाद बैंक से 352 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। कोठारी ने एक साल बाद भी ऋण के ब्याज तक का भुगतान नहीं किया।
ऋण देने वाले बैंकों में शामिल बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को पिछले साल जानबूझकर ऋण न चुकाने वाला (विलफुल डिफॉल्टर) घोषित किया था।
लेकिन इन आरोपों के बीच, 18 फरवरी की शाम को विक्रम कोठारी ने मीडिया के सामने आकर अपने देश में ही होने की पुष्टि की और पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा।
एक अंग्रेजी अख़बार के अनुसार, उन्होंने अपने बचाव में कहा, ‘पहली बात तो इसे घोटाला न कहें। मैं देश नहीं छोड़ रहा हूं। मैं कानपुर में ही हूं। मैंने बैंकों से लोन लिया है। ये गलत है कि चुकता नहीं किया है। मेरा नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के अंदर इस संबंध में केस चल रहा है। जो विवाद है उसमें पूरा निष्कर्ष निकलेगा।’
फ़िलहाल, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मामला दर्ज कर लिया है।