महोबा जिला में डार्क जोन घोषित होंय के बाद भी जनता पानी खा तरसत हे। जभे कि पानी की समस्या दूर करें खा सरकार ने ग्यारह करोड़ रूपइया की लागत से जल सोधन यन्त्र के तहत भेजो हतो। जोन 2014 में खत्म होंय खा हतो। फिर भी ऊ बजट को अभे तक कोनऊ असर नई दिखात आय।
महोबा जिला पथरीली जमीन होंय के कारन जनता पानी खा बोहतई परेशान रहत हे। गांव के बाहर दूर पानी लेय जात हे। गरीब जनता प्रधान से कहत हे तो हां कहके टार देत हे ओर जनता ऊ दिन को इन्तजार करत रहत हे, पे कोनऊ ध्यान नई देत हे कि जनता पे का बीतत हे। ऊ केसे आपन परिवार ओर जानवरन की प्यास बुझाउत हे।
सवाल जा उठत हे कि जभे सरकार ने इत्तो बजट भेजो हे तो ऊखो उपयोग काय नई होत हे। 2014 खत्म होंय वालो हे फिर भी पानी की कोनऊ सुविधा नइयां? ई बात को जबाब सरकार खा आपने सरकारी कर्मचारियन से लेंय खा चाही?
का सरकार जोन इत्तो रूपइया भेजत हे तो नाम खे भेजत हे जा फिर अधिकारियन के बीच खत्म होंय खा? का अधिकारियन को सरकारी वेतन में पूर नई परत हे। जीसे जीसे गरीब जनता की परेशानी दूर करे खे आओ रूपइया ऊ योजना तक नई पोहोच पाउत हे। बीच में ही ऊ रूपइया खत्म हो जात हे।
ताजा उदाहरण ब्लाक पनवाड़ी, गांव दुलारा। एते पीढ़ीन से पानी की समस्या हे तो का सरकारी कर्मचारियन खा पता नइयां। ईसे साफ नजर आउत हे कि सरकार के योजना को लाभ जनता खा कित्तो मिलत हे।
पानी खा मचत मारा-मारी
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