बुन्देलखण्ड के ज्यादातर गांवन मा पानी खातिर मड़इन का न जाने का, का पापड़ बेलै का पड़त हवै। गर्मी शुरू होते बूंद-बूंद पानी खातिर मड़ई हिंया हुंआ भटकै लाग हवै, पै शासन प्रशासन का तौ या कहब हवै कि हर छप्पन मड़इन मा एक हैण्डपम्प गांवन मा लाग हवै। सरकार या आंकड़ा कसत निकारिस हवै? चित्रकूट जिला के हजारन गांव इनतान के हवै जहां डेढ़ दुई सौ मड़ई रहत हवैं, पै हुंआ आज तक एकौ हैण्डपम्प नहीं लाग आय। सरकार कसत कहत हवै कि हर जघा हैण्डपम्प लाग हवै? मड़ई पानी पियै का तरसत हवै, पै सरकार दावा करत हवै कि हर जघा हैण्डपम्प लाग हवै। सब का पता हवै कि बुन्देलखण्ड मा हर बरस गर्मी के मौसम मा जलस्तर घट जात हवै। या कारन हैण्डपमप कुंआ तालाब नदी सब सूख जात हवैं। सरकार या समस्या खतम करै का ध्यान नहीं देत बल्की आपन नीक आंकड़ा पेश करत हवैं कि बुन्देलखण्ड जइसे इलाका मा पानी के कउनौ समस्या नहीं आय। उंई मड़इन के हाल अगर देखै सरकार जउन दुइ दुइ मील दूर जा के पानी खातिर घन्टन इन्तजार करत हवैं। तबै जा के उनका एक बाल्टी पियैं का पानी मिलत हवै।
चित्रकूट जिला के जनसंख्या के बात करी तौ आठ लाख छब्बीस हजार आठ सौ अनठावन हवै, पै हैण्डपम्प के संख्या कुल एक लाख छत्तीस हजार छह सौ चालिस हवै। प्रशासन कसत कहत हवै कि हैण्डपम्प हर जघा लाग हवै? सरकार काहे नहीं बुन्देलखण्ड जइसे पिछले अउर प्यासे लोगन के बारे मा काहे ध्यान नहीं देत। या समस्या कत्तौ एक दिन के न होय हर बरस उठत हवै। पानी के समस्या खातिर बांदा महोबा जइसे जिला के लोग भी परेशान हवैं।
पानी खातिर कबै तक भटकिहौं
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