सरकारी कर्मचारी आपन हाथ से गिलास नई बठाउत हे। महोबा जिला के आदमी पिये के पानी खा तरसत हे। पिये के पानी के लाने आदमी चार किलोमीटर दूर से साइकिल जा फिर बैलगाड़ी में पानी भर के लाउत हे। ईखे लाने शासन-प्रशासन कछू ध्यान नई देत हे।
बुन्देलखण्ड तो ऊसई पहाड़ी इलाका हे फिर भी सरकार खा ईखो कोनऊ ध्यान नइयां। जभे कि सरकार ने अलग से पानी ओर बिजली जेसी सुविधा के लाने बुन्देलखण्ड पैकेज के तहत करोड़ो का बजट भेजो हतो। चार साल बीते के बाद भी महोबा जिला में पानी ओर बिजली की कोनऊ सुविधा नइयां। आज भी ऐसे केऊ गांव हे जिते आदमी बूंद-बूंद पानी ओर उजियारे में मंुह देखे खा तरस हे।
ताजा उदाहरण-ब्लाक पनवाड़ी, गांव किल्हौवां ओर भटेवर कलां, ई गांवन के दलित बस्ती के आदमी आज भी ढाई किलो मीटर दूर हैण्डपम्प से पानी लाउत हे। जुलाई 2015 से चारो केती बरिस होत हे, फिर भी आदमी दो घण्टा ठाड़ रहत हे पानी खे परेशान होत हे। पानी भरे के लाने केऊ दइयां लड़ाई भी हो जात हे। जीखो भुगतान भी गरीब आदमी खे भरने परत हे।
सवाल जा उठत हे कि चार साल बीत गओ अभे तक कछू काम नई भई हे। आखिर ऊ बजट को कभे उपयोग हो हे। का नाम के लाने सरकार ने बजट भेजो हे। जा आदमियन की समस्या दूर करें खा। का कभऊं पानी ओर बिजली से आदमी छुटकारा पा पेहे की नई?