जिला बांदा, झांसी। चुनाव की तारीख जैसे-जैसे पास आ रही है, मतदाता अपने-अपने क्षेत्रों की परेशानियों को दूर करने के लिए चुनाव बहिष्कार ऐलान कर रहे हैं। झांसी के गुमनामवारा के लोगों ने पानी की समस्या से तंग आकर चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। 12 हजार आबादी वाले गुमनामवारा के लोगों को पिछले 16 साल से सही तरह से पानी नहीं मिल रहा है। वहीं बांदा के महुआ ब्लाक के रिसौरा गांव के लोगों ने भी विकास और सुखा राहत की धनराशि नहीं मिलने पर इस विधानसभा चुनाव में वोट नहीं देने का मन बना लिया हैं। लोगों का दावा हैं कि गांव में 80 प्रतिशत लोगों को ये पैसा नहीं मिला हैं, जिसके कारण गांव के लोग वोट नहीं देंगे।
‘पानी नहीं तो वोट नहीं’ की तख्तियां हाथ में लेकर विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करते गुमनामवारा के लोग सभी पार्टियों के नेताओं से नाराज हैं। गांव की मिनाक्षी निरंजन वोट देने से मनाकर चुकी हैं। उनका कहना है कि हर बार पानी आने की बात कही जाती है,पर पानी आता नहीं है।
सन् 2000 में बसे इस कस्बे में करीब 3000 घर हैं, ये इलाका सन् 2002 में नगर पालिका से जुड़ गया था। पर यहां के लोग अपना पूरा समय पानी का प्रबंध में लगा देते हैं। शीला गौतम,54, कहती हैं, “हमारा पूरा समय पानी भरने में ही चला जाता है, हम अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं।”
गुमनामवारा में इस समय 80 हैंडपम्प लगे हैं, जिसमें से केवल 5 ही पानी दे रहे हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए टैंकर भरकर पानी बाहर से मांगवाना पड़ता है। सविता देवी अपने घर के बच्चों को रोज-रोज न नहलाने की बात कहती हैं। वहीं पहली बार वोटर बनी शबाना खातून वोट देने के लिए उत्साहित तो हैं, पर पानी की समस्या खत्म होने पर ही वोट देना चाहती हैं। इस इलाके में जल का स्तर नीचे चला गया है, समर सेवर पम्प के माध्यम से पानी मिलने की आशा है, पर सरकारी नलों पर इतना पैसा नहीं लगाया जा रहा है। गुमनामवारा कस्बे के लोग एकजुट होकर वोट ना देने की घोषणा पर अपनी रजामंदी दे चुके हैं।
वहीं बांदा के रिसौरा गांव के लोग विकास और सूखा राहत धनराशि नहीं मिलने पर चुनाव का बहिष्कार कर चुके हैं। लोग ‘कृषि अंश विकास दो, बाद में हमसे वोट लो’ का नारा के साथ 23 फरवरी तक 80 प्रतिशत राशि देने की मांग कर रहे हैं। गांव के लोगों का आरोप हैं कि नरैनी तहसील के लेखपालों की गड़बड़ी के कारण पैसा लोगों को नहीं मिल पाया है। गांव के 70 साल के डाक्टर श्रीराम द्विवेदी कहते हैं, “वोट तो काम होने पर ही दिया जाएगा। हम आश्वासन से नहीं मानेंगे।”
दोनों ही जगह के लोग अपने वहां की परेशानी का हल चुनाव बहिष्कार करके निकालने की कोशिश कर रहे हैं। पर जननेताओं को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि क्यों लोग अपनी समस्या का हल चुनाव बहिष्कार को बना रहे हैं।
रिपोर्टर- सोनी
Published on Jan 30, 2017