16 अक्टूबर 2017 को प्रकाशित
जिला ललितपुर,कस्बा महरौनी। इस बार के इम्तिहान में सभी कीड़े मकौड़े पास हो गये,तेल के दाम इतने बढ़े कि महंगे पकोड़े हो गयें।ये हास्य कविता सुना रहे है संजय पाण्डे भारत।इनकी कविता से सबके चेहरों को हंसी मिलती हैं और साथ ही ये समाज की हर कुरीतियों पर व्यंग्य करते हैं।
संजय पाण्डे भारत का कहना है कि कविता करना मां गायत्री देवी पाण्डे से सीखा है।जब मैं कक्षा
चार में पढ़ना था उस समय सात साल की उम्र में पहली कविता लिखी थी।मेरे पिता जी दर्शन की कविता लिखते थे।1989 में जैन धर्म के खण्ड काव्य में लाजो पुस्तक में भगवानशंकर के बारे में लिखा था।महरौनी तहसील के इतिहास और कुछ साहित्यकरों की कविताओं में संपादन का काम भी किया है।दिल्ली,ग्वालियर के बड़े मेलों में भी कविता पाठ करने का अवसर मिला है पच्चीस वर्ष तक मध्य प्रदेश में कविता पाठ किया है। बुन्देल खण्ड का पहला कवि हूं जो स्टार वन के लाफ्टर शो में गया हूं।आज लोग इतने व्यस्त और टेन्शन में रहते है कि उनके चेहरे से मुस्कुराहट खत्म हो गयी है।मेरा उद्देश्य हास्य व्यंग्य की कविता सुना के लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाना हैं।
बाईलाइन-राजकुमारी