लाहौर, पाकिस्तान। पाकिस्तान में 9 मार्च 2013 को साम्प्रदायिक हिंसा का मामला सामने आया। यहां के लाहौर शहर में मुसलमानों ने दर्जनों ईसाइयों के घर जला दिए हैं।
मामले की शुरुआत 8 मार्च 2013 से हुई। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार हिंसा के पीछे धर्म के अपमान का मामला है। मुसलमानों का कहना है कि शुक्रवार को एक ईसाई युवक ने उनके धर्म इस्लाम का अपमान किया था। शनिवार को हुई हिंसा में भीड़ ने पहले उस युवक के घर को जलाया। बाद में दर्जनों अन्य लोगों के घरों को भी आग के हवाले कर दिया।
पुलिस ने उस ईसाई युवक को हिरासत में ले लिया है। लेकिन हिंसा करने वाले मुसलमानों की मांग है कि उस युवक को उन्हें सौंप दिया जाए। 10 मार्च को लाहौर के सभी ईसाईयों ने एकजुट होकर प्रशासन से सुरक्षा की मांग की। जिन लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है उनके लिए मुआवजा भी मांगा। पाकिस्तान की राजधानी कराची के सेंट पैट्रिक चर्च के फादर पीटर जौन ने मामले में दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और मुआवजे की मांग की।
ज्यादातर इस्लामिक देशों (मुसलमान आबादी वाले देश) में ईषनिंदा (धर्म का अपमान करना) के खिलाफ सख्त कानून हैं। पाकिस्तान और साऊदी अरब जैसे कई देशों में ईषनिंदा करने पर मौत की सज़ा का कानून है। हालांकि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकारों के बारे में जारी की गई रिपोर्ट में इस कानून को सभी दशों से खत्म करने की मांग की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कानून से धार्मिक आज़ादी खतरे में पड़ती है।