पेशावर, पाकिस्तान। 16 दिसंबर को देश के पेशावर शहर के एक स्कूल में तालिबान गुट के सात आतंकवादियों ने घुुसकर गोलियां चलाईं और आठ घंटे तक स्कूल के बच्चों और टीचरों को बंदी बनाए रखा। दिल दहला देने वाली इस घटना में एक सौ बत्तीस स्कूली बच्चे और नौ स्टाफ के लोग मारे गए। पाकिस्तानी सेना ने आठ घंटे बाद सातों आतंकवादियों को मारकर स्कूल में फंसे बाकि लोगों को छुड़ाया।
इस हमले की जि़म्मेदारी पाकिस्तान और अफगानिस्तान देशों के – ‘तरीक-ए-तालिबान‘ ने ली है। पाकिस्तान ने इस गुट के खिलाफ जून 2014 में खास कार्यक्रम शुरू किया था। तालिबान के प्रवक्ता ओमर खोरासानी ने कहा कि बच्चों पर हमला इसलिए किया गया जिससे कि सेना और सरकार को जवाबी संदेश पहुंचे। हमले की शुरुआत सुबह दस बजे हुई। पाकिस्तानी सेना के मुखिया मेजर जनरल असीम बाजवा ने बताया कि आतंकवादी पूरी तैयारी से आए थे।
प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने पूरे देश में तीन दिन का शोक घोषित किया और खुद पेशावर पहुंचे।
दुनिया पाकिस्तान के साथ
पाकिस्तान की इस मुश्किल घड़ी में दुनिया के अलग-अलग देशों से सहानुभूति और शोक से भरे संदेश पहुंचे। इंग्लैंड के लंदन शहर में लोगों ने मरने वाले बच्चों की याद में मोमबत्तियां जलाईं। भारत में हर स्कूल में बच्चों की याद में दो मिनट मौन रखा गया। सभी देशों की सरकारों ने तालिबान के इस हमले की कड़ी आलोचना की है।
नई दिल्ली में आयोजित शोक सभा को पुलिस ने रोक दिया और कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी ले लिया। आतंकवादी गुट जवात-उद-दवाह के हफीज़ सईद ने मौके का फायदा उठाते हुए भारत और मोदी सरकार को हमले का जि़म्मेदार ठहराया और कहा कि भारत को जवाबी हमले झेलने पड़ेंगे।