जिला बांदा। गरमी शुरू होते ही पानी की समस्या भी शुरू हो गई है। उन क्षेत्रों की स्थिति और भी खराब है जो पहाड़ के नीचे बसे हैं। ऐसे ही गांव हैं नरैनी ब्लाक के रक्सी और पौहार।
रक्सी गांव का मोहल्ला अहिरन टोला। यहां की फूला, कुन्तलिया और रीना का कहना है कि चैत का महीना है। फसल काटने का काम जोरों पर चल रहा है। सुबह चार बजे उठकर पानी भरने के लिए हैंडपम्प में लाइन लगानी पड़ती है। घंटों इंतज़ार के बाद एक ही बाल्टी पानी मिलता है। अगर दूसरी भरनी है तो फिर से नंबर लगाना पड़ता है।
गांव में 2010 में पाइप लाइन बिछी थी। लाइन ज़मीन के अंदर नहीं ज़मीन के ऊपर है। इसलिए बिछने के कुछ ही दिन के बाद पाइप टूट गए। अगर पाइप लाइन सुधर जाती तो पहाड़ के ऊपरी हिस्से वाले मोहल्ले में भी आसानी से पानी मिल जाता। पहाड़ी के नीचे गांव बसा होने की वजह से पानी का लेबल एक सौ पचास से दो सौ फीट गहराई पर है। एक हैंडपम्प लगावने में अस्सी से नब्बे हज़ार रुपए खर्च आता है।
पौहार गांव के कुम्हारन पुरवा। यहां डेढ सौ घर एक हैंडपम्प पर निर्भर हैं। कब बिगड़ जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं है। मुन्नी, उजेरिया, जानकी और अवधेश बताती हैं कि हम नदी का पानी पीने को मजबूर हैं। क्योंकि हैंडपम्प की लाइन में कब तक खडे रहें। एक कुआं भी है जिसका पानी बिल्कुल ही खराब है। हमने प्रधान से नए हैंडपम्प की मांग की है।
प्रधान सियादुलारी के पति छेदीलाल बताते हैं कि छह महीना पहले नए हैंडपम्प की मांग की गई है। बांदा जल निगम के सहायक अभियंता का कहना है कि पाइप लाइन सुधरवाने और हैंडपम्प लगवाने का बजट अभी नहीं है।