जिला ललितपुर, गांव छायन इते किसान पूरी तरा से बरबाद हो गये। किसानन ने जो बीज खेत में बो तो बो तक बीज उनको नई निकरो न उनकी लागत निकरी। कबहू सूखा तो कबहु पानी किसान बिल्कुल बरबाद हो गये।
स्वामी प्रसाद ने बताई के हमने अपने खेत में उर्द,मूंग,तिली,बोई ती लेकिन कछु नई निकरो गरीब आदमी हे काय से खर्चा चला हे काय से मोड़ी मोड़ा पाल हें काय में का कर हे। फसल में तो कछु नईया पूरे तरा से बरबाद हो गये। फसल में से तो जों बीज खेत में बो तो बो बीज तक नई निकरो और जुताई बुबाई तो अलगई हें।
गुलाब बाई ने बताई के हमने अपने खेत में पांच बरईया मूंग बोई ती और जुताई बुबाई सब करवाओ और नीदत रए गोढत रए और घामन मरे सो अलग और जब फसल कि बेरा आई सो कछु नई कड़ो सबरी फसल मर गई।
राजपाल ने बताई के दो तीन साल से फसल एसी हो रई कबहु सूखा कबहु पानी फसल होई नई पा रई ढंग से।
ब्रजलाल ने बताई के हमने पच्चीस किलो मूंग बोई ती जीमे अब देखो सो कोनऊ पेड़े में दो कोसे लगी तो कोनऊ में एक लगी तो कोनऊ में कछु नईया।
राम बाई ने बताई के अब बाहर जेहे दिल्ली के आगरा उतई मजूरी कर हे। उतई मोड़ी मोड़न को लुआ जेहे सो बे कर हें अपनों पेट पाल हें सो करनेई परे नई तो फिर भूकन मर हें।
इमरत बाई ने बताई के हमाय तो और दस मोड़ी मोड़ा हे चार मोड़ी छह मोड़ा काय में पेट भर हें। मजूरी कछु हें नईया।
रिपोर्टर- राजकुमारी
पहले सूखा, फिर बरसात
कहाँ जाएँ ललितपुर के बीर गाँव के किसान?