खबर लहरिया झाँसी पहले रोज़गार, अब इफ्तार और त्यौहार, बूचड़खाने बंद होने के बढ़ते ग़म

पहले रोज़गार, अब इफ्तार और त्यौहार, बूचड़खाने बंद होने के बढ़ते ग़म

जिला झांसी, शहर झांसी रमजान में शाम होबे पे ही इफ्तारी की तैयारी होन लगती। लेकिन जा बार मीट की किल्लत और बूचड़खाने बंद होबे के मारे फीको लग रओ। जा बार ईद आदमी केसे मना हे।जिला झांसी, शहर झांसी रमजान में शाम होबे पे ही इफ्तारी की तैयारी होन लगती। लेकिन जा बार मीट की किल्लत और बूचड़खाने बंद होबे के मारे फीको लग रओ। जा बार ईद आदमी केसे मना हे। नूरजहा ने बताई के अगले रमजान में खूब मीट मिलत तो खूब बनत तो कोप्ता, कीम, कलेजी कछू न कछू बनत हो रत तो। हम ओरे मीट के बिना नइ रत ते और जा बार रमजान में मीट देखबे को नइ मिल रओ। शहनाज ने बताई के कमाई ही नइया इतनी के मुर्गा को खा सके बकरा को खा सके। पहले मीट की दुकान चलत रत ती  तो बई में सब करत रत ते और त्यौहार मना लेत  ते। सबीना ने बताई के हम ओरे तो बोहतई परेशान हे के कबहु अंडा तल लेत कबहु कछू कर लेत  काय  के मीट के बिना हम ओरन के पेट नइ भरत। जैतून वेगम ने बताई के जब मीट ही नइया तो कैसे त्यौहार मना बे। पहले पांच पांच किलो मीट बनत तो। हम ओरन को तो हर तीन दिन में मीट चाहिए। और अबे तो दो महिना से देखबे भी नइ मिलो। जब दुकान लगाई नइ पा रए तो किते से आहे। सितार ने बताई के हमाय  मोड़ी मोड़ा दिल छोटो कर रए के मीट ही नइ मिल रओ। अगर मीट बन जात तो सब त्यौहार मन जात अगर मीट नइया तो कछू नइया। का मेंहमानन को खिलाय जा से मेहमान भी नइ आत काय के आज कल सब के ते जोई हाल हे। जाओ तो सब्जी ही मिलत मीट तो मिलत नइया। मीट के संगे सब बंद हे। मोड़ी मोड़ा जो ठेला लगात ते बिरयानी, कबाब के सब बंद हे जमाल ने बताई के सब परेशान हो रए सब रो रए हिन्दू और मुस्लिम सब। सरकार का विकास कर रइ उन ने कइ ती के सब को साथ सबको विकास जई से हमने वोट दए ते हमे विकास तो कछू नइ  दिखा रओ और परेशान हो रए उन ने तो हमाई रोटी ही छीन लई। सफीना जिला झांसी, शहर झांसी रमजान में शाम होबे पे ही इफ्तारी की तैयारी होन लगती। लेकिन जा बार मीट की किल्लत और बूचड़खाने बंद होबे के मारे फीको लग रओ। जा बार ईद आदमी केसे मना हे।
नूरजहा ने बताई के अगले रमजान में खूब मीट मिलत तो खूब बनत तो कोप्ता, कीम, कलेजी कछू न कछू बनत हो रत तो। हम ओरे मीट के बिना नइ रत ते और जा बार रमजान में मीट देखबे को नइ मिल रओ।
शहनाज ने बताई के कमाई ही नइया इतनी के मुर्गा को खा सके बकरा को खा सके। पहले मीट की दुकान चलत रत ती तो बई में सब करत रत ते और त्यौहार मना लेत ते।
सबीना ने बताई के हम ओरे तो बोहतई परेशान हे के कबहु अंडा तल लेत कबहु कछू कर लेत काय के मीट के बिना हम ओरन के पेट नइ भरत।
जैतून वेगम ने बताई के जब मीट ही नइया तो कैसे त्यौहार मना बे। पहले पांच पांच किलो मीट बनत तो। हम ओरन को तो हर तीन दिन में मीट चाहिए। और अबे तो दो महिना से देखबे भी नइ मिलो। जब दुकान लगाई नइ पा रए तो किते से आहे।
सितार ने बताई के हमाय मोड़ी मोड़ा दिल छोटो कर रए के मीट ही नइ मिल रओ। अगर मीट बन जात तो सब त्यौहार मन जात अगर मीट नइया तो कछू नइया। का मेंहमानन को खिलाय जा से मेहमान भी नइ आत काय के आज कल सब के ते जोई हाल हे। जाओ तो सब्जी ही मिलत मीट तो मिलत नइया। मीट के संगे सब बंद हे। मोड़ी मोड़ा जो ठेला लगात ते बिरयानी, कबाब के सब बंद हे
जमाल ने बताई के सब परेशान हो रए सब रो रए हिन्दू और मुस्लिम सब। सरकार का विकास कर रइ उन ने कइ ती के सब को साथ सबको विकास जई से हमने वोट दए ते हमे विकास तो कछू नइ दिखा रओ और परेशान हो रए उन ने तो हमाई रोटी ही छीन लई।

रिपोर्टर- सफीना 

20/06/2017 को प्रकाशित