नई दिल्ली। अप्रैल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने पुरुष और महिला के अलावा एक तीसरे जेंडर को मान्यता दी। भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय के दो करोड़ लोग हैं। फैसला सुनाने वाली जजों की बैंच में शामिल के.एस. राधाकृष्णन ने फैसले में कहा ‘ट्रांसजेंडर का मुद्दा सीधे मानवाधिकार से जुड़ा हुआ है। सम्मान के साथ अपनी पहचान के साथ जीने का अधिकार संविधान ने हमें दिया है। ट्रांसजेंडर भी देश के नागरिक हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय की पहचान के लिए लड़ने वाली लक्ष्मी नारायण खुद भी एक ट्रांसजेंडर हैं। फैसला सुनने के बाद उन्होंने कहा यह फैसला हमें सम्मान से जीने का अधिकार देता है। हमें पहली बार लगा कि हम भी भारत के लोग हैं।
ट्रांसजेंडरों को मिला आवास में आरक्षण
रायपुर। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने 23 फरवरी, 2015 को ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकारी आवास योजनाओं में अब इस समुदाय को दो प्रतिशत का आरक्षण राज्य की तरफ से तय किया गया है। राज्य में इस समुदाय के करीब तीन हज़ार लोग हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस समुदाय के लिए दिए दिशा निर्देशों के अनुसार सरकारी नौकरियों, शिक्षा और बुनियादी जरूरतों में इन लोगों के लिए आरक्षण तय करने की बात कही गई थी।
पहली ट्रांसजेंडर न्यूज एंकर
नई दिल्ली। भारत में पहली ट्रांसजेंडर न्यूज एंकर हैं। तमिलनाडू के कोयंबटूर से प्रकाशित होने वाले तमिल सैटेलाईट न्यूज चैनल में पद्मनी खबरों को पढ़ती हैं। इकत्तीस साल की पद्मनी आई.ए. एस. अधिकारी बनना चाहती थीं। लेकिन सीमित संसाधनों या सहूलियतों की वजह से नहीं बन पाईं। उन्होंने बताया कि तेरह साल की उम्र में जब उनके माता पिता को यह पता चला कि उनका व्यवहार शारीरिक रूप से मिल जेंडर से अलग है तो उन्हें परिवार से बहुत अपमान मिला। पद्मनी ने बड़े होकर कथक सीखा। कई तमिल धारावाहिकों में काम भी किया। पद्मनी ने बताया कि न्यूज चैनल में उन्हें काफी खुला माहौल मिला। अब वह चाहती हैं कि इस समुदाय के और भी लोग इस तरह के कामों में आएं। इससे ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए समाज में मंजूरी मिलेगी।
पहली ट्रांसजेंडर मेयर
छत्तीसगढ़ में इसी साल हुए मेयर चुनाव में पैंतिस साल की मधु किन्नर देश की पहली ट्रांसजेंडर मेयर बनीं। इन्होंने रायगढ़ सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को करीब साढ़े चाह हज़ार वोट से हराया था।