दुनिया के कुछ हिस्सों से लगातार लोग पलायन करके यूरोप के देशों में पहुंच रहे हैं। लेकिन यूरोपीय देशों में इन्हें शरण नहीं मिल रही है। वैश्विक मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने यूरोपीय देशों के इस रवैये की आलोचना की है। इतना ही नहीं अगर एमनेस्टी इंटरनेशनल की मानें तो जो लोग यूरोप में जैसे तैसे शरण पा भी गए हैं उनकी भी सुरक्षा और बुनियादी ज़रुरतों का जि़म्मा यूरोपीय देश लेने से कतरा रहे हैं।
पलायन 2013 से ही जारी है। मगर पलायन का संकट अप्रैल 2015 से सबकी नज़रों में आ गया। इस समय करीब पांच नावों पर सवार होकर भूमध्यसागर से लोग यूरोपीय देशों की तरफ आ रहे थे। लेकिन दुघर्टना में बारह सौ लोग मारे गए। इसके बाद समुद्रीय रास्तों से आने वाले कई जहाज़ दुर्घटनाग्रस्त हुए जिनमें हज़ारों मौतें हुईं। लेकिन ग्रीस, हंगरी, सीरिया, इराक, तुर्की, सर्बिया, अफगानिस्तान, अल्जीरिया, बांग्लादेश, इथोपिया, भारत, माली, नाइजीरिया, सूडान, ट्यूनिशिया, सोमालिया, हंगरी समेत कई और देशों से पलायन जारी है।
पलायन करने वालों को बचाने का अभियान
दुर्घटनाओं को देखते हुए यूरोप के एक देश इटली ने 18 अक्टूबर 2013 को आॅपरेशन मरे नाॅस्ट्रम नाम का एक अभियान चलाना शुरू किया। इस अभियान के तहत करीब डेढ़ लाख शरणार्थियों को सुरक्षित समुद्र के रास्ते यूरोप पहुंचाया गया था। लेकिन इस आॅपरेशन को जारी नहीं रखा जा सका।
यूरोपीय देशों का एतराज़
यूरोपीय देशों का कहना था कि अगर हम इसे जारी रखेंगे तो दूसरे देशों से आने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जाएगी। गैर कानूनी पलायन बढे़गा। न केवल मरे नाॅस्ट्रम अभियान बंद किया गया बल्कि यूरोपीय देशों की सीमा पर सेना भी बढ़ा दी गई।
शरणार्थियों को नहीं मिली शरण
यूरोपिय देशों में 2014 में एक लाख बत्तीस हजार चार सौ पांच एप्लीकेशन आईं थीं। यह लोग यहां पर शरणार्थी की तरह रहने की अनुमति चाहते थे। लेकिन इनमें से तेइस हजार दो सौ पांच लोगों की एप्लीकेशन ही मंजूर हुई। दरअसल कानूनी तरह से शरणार्थी के रूप में रहने पर उनकी सुरक्षा और बुनियादी जरूरतों का जिम्मा सरकार लेती है। जर्मनी, इटली, स्वीडन और फ्रांस में सबसे ज्यादा लोगों ने एप्लीकेशन डालीं थीं।
क्या हैं कारण-
सीरिया, अफगानिस्तान, इराक जैसे देशों में आतंकवादी हमलों के कारण लोग पलायन करने को मजबूर हैं तो सोमालिया, सूडान, माली जैसे देशों में गरीबी के कारण। ट्यूनिशिया और ग्रीस जैसे देशों में गृह युद्ध जैसे हालात पलायन का बड़ा कारण हैं।
सीरिया-यहां से करीब चालीस लाख लोग पलायन कर चुके हैं। ज़्यादातर लोगों ने तुर्की में शरण ली। वहां जारी हिंसा में करीब ढाई लाख लोगों की मौत हो चुकी है।
इराक-यहां से करीब दस लाख से ज़्यादा लोग पलायन कर चुके हैं।
इटली-यहां केवल 2014 में ही एक लाख सत्तर हज़ार लोग पलायन करके आए।