जिला चित्रकूट, ब्लाक मऊ, गांव चंदई। इस गांव में 30 अप्रैल को बूथ संख्या 107 में वोट डालने पहुंचा केवल एक व्यक्ति। गांव की आबादी चार हजार है। करीब पंद्रह सौ वोटर हैं। यहां पांच में से केवल एक हैंडपंप ठीक है। खड़ंजा नहीं है। बिजली के खंभे गड़े हैं पर बिजली नहीं पहुंची। लोगों का कहना है कि हम तब तक किसी चुनाव में वोट नहीं डालेंगे जब तक कि हमारे गांव में बिजली, पानी, सड़क की व्यवस्था नहीं हो जाती।
यहां के ग्रामीणों ने वोट न डालने का फैसला तीन महीने पहले ही ले लिया था। इसके लिए इन लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था। मतदान के दिन केवल एक व्यक्ति कुबेर मणि मिश्र ने वोट डाला। प्रधान चंद्रकली के पति रमेश ने बताया कि गांव के लोग नाराज़ हैं।
वोटरों को मनाने पहुंचे अधिकारी
कुछ माने पर ज़्यादातर ने नहीं डाले वोट
जिला बांदा। बिजली, पानी स्वास्थ्य और फसल बर्बादी पर मुआवजा़ न मिलने से नाराज़ गांववासियों ने नहीं डाले वोट। लोगों ने बैनरों में लिखा जब राजनैतिक दल हमारे साथ नहीं तो हम तुम्हारे साथ क्यों? हम पर वोट डालने का दबाव मत बनाएं। मतदान का बहिष्कार जिले के ब्लाक बड़ोखर खुर्द, गांव मटौंध के मजरों बनिया खोड़, खहरा, मुरेड़ी और पटना के लोगों ने किया। यहां पर बिजली, पानी, सड़क का मुद्दा तो है ही। लेकिन इस समय सबसे बड़ा मुद्दा हैं मौसम से बरबाद फसलों का मुआवज़ा न मिलना।
खहरा गांव के अवधेश ज्ञान सिंह और राकेश ने बताया कि विधानसभा चुनाव में हमसे डामर वाली सड़कों, पेयजल और सिंचाई की व्यवस्था करने, बिजली देने का वादा किया गया था। लेकिन हुआ कुछ नहीं। मटौंध से पंद्रह किलोमीटर दूर स्वास्थ्य केंद्र है। रात में जाना पड़े तो कोई साधन भी नहीं मिलता। दूसरी तरफ मौसम से खराब फसलों का हरजाना भी नहीं दिया जाता।
प्रधान रामप्रकाश ने बताया कि जब गांव के लोगों ने यह मतदान न करने का फैसला लिया तो ए.एस.डी.एम. ने आकर लोगों को समझाने की कोशिश की। लेकिन कुछ को छोड़कर ज़्यादातर लोग अपनी बात में अड़े रहे। प्रधान ने बताया कि लोग कह रहे हैं कि सर्दी में ओला और पाले से फसलें बरबाद हुईं। अब आग लगने से फसलें बरबाद हो रहीं हैं। लेकिन मुआवज़ा नहीं मिल रहा।