पंजाब में 117 विधानसभा सीटों के लिए 4 फरवरी को चुनाव हो गए है। मतों की गिनती 5 राज्यों के चुनाव खत्म होने के बाद 11 मार्च को होगी।
इस बार पंजाब के चुनाव में कांग्रेस और भाजपा का खास ध्यान नहीं रहा, जिसके कई वजह थी क्योंकि दो राष्ट्रीय पार्टी विधानसभा चुनाव में बढ़त से 2019 के लोकसभा को फतेह का सोच रही है।
साथ ही अकाली-भाजपा गठबंधन के पास दो बार के शासन की उपलब्धियां इतनी नहीं हैं। पंजाब में भाजपा अकाली के साथ ही अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं इसलिए भाजपा ने गठबंधन को इस बार भी बनाए रखा।
लोकसभा में भाजपा-अकाली गठबंधन ने 13 लोकसभा सीटों में से 6 सीटे प्राप्त की थी। वहीं आप पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़कर राज्य में 4 सीटे प्राप्त की थी। यहीं देखते हुए आप ने अपना पूरा दमखम इस राज्य में अपनी बढ़त को बनाने में लगाया। पर अकाली दल को दमदमी टकसाल, सच्चा सौदा राधास्वामी, सचखंडबल्लन और दिव्यज्योति संस्थान के साथ कई डेरों का समर्थन मिल गया। प्रदेश में भाजपा ने प्रचार के नाम पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दो रैली की थी, ये दो रैली भी खास भीड़ जुड़ाने में कामयाब नहीं हो पाई थी।
वहीं पंजाब चुनाव में 117 विधानसभा सीट पर सभी पार्टियों के 1,145 उम्मीदवारों में से केवल 81 महिलाएं हैं, जिसमें भी 81 में से 32 महिलाएं निर्दलीय हैं। जबकि आम आदमी पार्टी ने 112 उम्मीदवारों में से केवल नौ महिला उम्मीदवार हैं। भाजपा-अकाली गठबंधन 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। उसमें भी केवल 2 महिला उम्मीदवार हैं। शिरोमणि अकाली दल की 94 सीटों में से पांच महिला उम्मीदवार हैं। वहीं प्रदेश की कुल 2 करोड़ मतदातों में लगभग आधी संख्या महिलाओं की हैं।