पंजाब में सीएजी ने एक रिपोर्ट दी है जिसे मार्च महीने के बजट सत्र में विधानसभा में पेश किया गया। सीएजी ने 2009 से 2013 के बीच 3319 ट्रकों का सैंपल लेकर उनके बारे में पता करना शुरू किया तो निराशा हाथ लगी, क्योंकि सिर्फ 87 गाडि़यों का अता-पता लग सका, लेकिन इनमें से 15 ट्रक नहीं थे। स्कूटर, मोटरसाइकिल और कार वगैरह के नंबर थे। 3232 ट्रकों का कोई अता पता नहीं चला।‘इकोनोमिक टाइम्स’ के अनुसार पंजाब में खरीद से जुड़े 30 बैंकों के समूह को 12,000 करोड़ के स्टॉक का हिसाब नहीं मिल रहा है। ख़बर आई कि बैंकों ने पता चलते ही इस सीजन में ख़रीद के बाद भुगतान रोक दिया।
पंजाब का कहना है कि केंद्र से जो अनाज खरीदने के लिए पैसे मिले थे उनका कहीं भी ग़लत इस्तेमाल नहीं हुआ है। ये अनाज सेंट्रल पूल में जाता है यानी भारतीय खाद्य निगम को दे दिया जाता है और बकायदा .इसका रिकार्ड रखा जाता है। अगर ऐसा है तो भारतीय रिजर्व बैंक को चिन्ता करने की क्यों ज़रूरत पड़ी . मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के गृह जि़ले मुक्तसर की मंडी यानि गीदड़बाह मंडी का भी यही हाल है। यहां से सरकार 7 लाख 90 हज़ार बोरियों उठाकर गोदामों में ले गईं फिर भी किसानों को अभी तक भुगतान नहीं हुआ है इसका हिसाब लगाएंगे तो करीब 59 करोड़ के आसपास बैठेगा। 85,000 बोरियां मंडी में ही पड़ी हैं। मुक्तसर में करीब 56 मंडियां हैं। चार बड़ी मंडी है और 52 के करीब छोटी और मझोले किस्म की मंडियां हैं। हर मंडी की कमोबेश यही कहानी है। हज़ारों किसान दो हफ्ते से पैसे का इंतज़ार कर रहे हैं। यहां भी आढ़तियों का कहना है कि सरकार की तरफ से पैसे नहीं आ रहे हैं।
सीएजी के अनुसार मीलों को फायदा पहुंचाने के लिए पैसा तो दे दिया गया मगर माल का पता ही नहीं चल रहा है। पंजाब के किसान संकट में हैं।
पंजाब में 12,000 करोड़ का अनाज लापता!
पिछला लेख