उत्तर प्रदेश। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 24 अप्रैल को देष के अलग अलग इलाकों में मनाया गया। बीस साल पहले 24 अप्रैल 1993 को संसद में एक बदलाव (संशोधन) के ज़रिए गांव की पंचायतों को संवैधानिक दर्जा दिया गया। उस एक ऐतिहासिक पल के बारे में कुछ जगहों में किसी को आज भी जानकारी नहीं है।
जिला चित्रकूट के रामनगर ब्लाक के ए.डी.ओ. अधिकारी विन्दा प्रसाद को इस मामले में कोई जानकारी नहीं थी। जिले के कई प्रधान भी इस दिवस से अंजान थे। चित्रकूट के जिला पंचायती विभाग के पास तो 1998 से अब तक अपनी निजी बिल्डिंग भी नहीं है।
उधर लखनऊ में समाजवादी पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश के पिछड़े जिलों के पंचायती राज विभागों को मिले खास बजट में हुए घोटाले की जांच कराने वाली है। अंबेडकर नगर, चित्रकूट, बांदा, महोबा समेत पैंतीस ऐसे जिले हैं जिनको 2008 से अब तक दो हज़ार करोड़ से ज़्यादा रकम मिली थी लेकिन इस रकम का कैसे प्रयोग किया गया, इसकी जानकारी के लिए जांच करने वाली खास एजेंसी सी.बी.आई. की टीम को मुद्दा सौंपा जाएगा।
पंचायती राज की बीसवीं वर्षगांठ पर सन्नाटा
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