उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में मूर्ति बनाने वाले दयाराम ने यह कला पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर के एक गुरू से सीखी थी। दरअसल दुर्गा की मूर्ति को पंडालों में सजाना और रात भर जश्न का माहौल होना – देश के पूर्वी हिस्से में नवरात्र मनाने का तरीका है।
पश्चिम भारत में नौ की नौ रातें लोग एक दूसरे से मिलते हैं और गरबा और डांडिया जैसे नाच किए जाते हैं। मस्ती और नाच गाने का माहौल जो देश के इस हिस्से में बनता है, उसे अब दुनियाभर में लोग जानते हैं।
उत्तर भारत में नवरात्र के समय सबसे जाना माना है भंडारा करना और जगह जगह पर राम लीला का आयोजन। नौ दिन रात रात जागरण होते हैं और मेले जैसा माहौल बना रहता है। दसवें दिन जब बड़े बड़े मैदानों में रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं।
दक्षिण भारत में लोग घरों में सीढि़यां बनाकर मिट्टी से बनी छोटी छोटी खिलौने जैसी मूर्तियों को सजाते हैं। कुछ राज्यों में इस त्योहार को ‘गोलू’ नाम से जाना जाता है। नौवें दिन कामकाज से जुड़े सामान की सजावट की जाती है और इनका इस्तेमाल दसवें दिन होता है।