जिला फैजाबाद, बेनीगंज, एल.आई.सी.। भारतीय जीवन बीमा निगम में सहायक पद पर काम करने वाले आर.डी. आनन्द अपने जीवन में ना जानें कितनी समस्याएं झेल चुके है। इन सबको वो अपनी किताबों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाते हैं। इस समय अपनी तेइसवीं किताब लिख रहें है।
आर. डी. आनन्द ने बताया कि हम बुझावकपुर गांव के रहने वाले हैं। हमारी पढ़ाई-लिखाई लखनऊ में बुआ के घर हुई। 1985 से हमने कविता लिखना षुरू किया। चार साल बाद भारतीय जीवन बीमा निगम फैजाबाद में सहायक पद पर नौकरी मिल गई। और आज भी नौकरी के साथ-साथ किताब लिख रहे हैं।
आनन्द कविता संग्रह, दलित साहित्य से जुड़े कई लेख और आलोचनाएं लिख चुके हैं। इनकी कुछ प्रमुख किताबें दलित प्रष्न और माक्र्सवाद, साहित्य और प्रतिक्रिया का यथार्थ, फूल जरूर खिलेंगे इत्यादि है। ये क़िताबें पूरे यू.पी. में फैली हुई हैं जिसे लोग पढ़ते हैं।
नौकरी के साथ-साथ लिख रहे किताब
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