पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) ने हाल ही में अपनी मुंबई स्थित एक शाखा में 1.77 अरब डॉलर (11,346 करोड़ रुपये) के घोटाले के बारे में बताया है।
इस घोटाले का भी रत्न व आभूषण के प्रसिद्ध कारोबारी नीरव मोदी से जुड़ाव हैं जिनके खिलाफ पीएनबी ने एक पखवाड़े पहले 280 करोड़ रुपये के धोखे’ का आरोप लगाते हुए जांच सीबीआइ को सौंपी है।
पीएनबी ने बताया कि यह मामला वर्ष 2010 से चल रहा था। बैंक ने बताया है कि, ”उसने मुंबई स्थित अपनी एक शाखा में कुछ गड़बड़ी दर्ज की है। कुछ खाताधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए लेन देन की गई है। इन लेन देन के आधार पर ग्राहकों को दूसरे बैंकों ने विदेशों में कर्जे दिए हैं। इस लेन देन का आकार 1.77 अरब डॉलर है। इसकी सूचना जांच एजेंसियों को दी गई है ताकि कानून के तहत दोषियो के खिलाफ कार्रवाई की जाए।”
एक अंग्रेजी अख़बार के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि जब नीरव मोदी मामले की जांच की गई तब इस तरह के दूसरे घोटाले का पता चला। नीरव मोदी व अन्य ग्राहक पीएनबी की उक्त शाखा से हासिल जारी आशय पत्र (एलओयू) के आधार पर दूसरे देशों में कर्ज हासिल करता था। यह काम वर्ष 2010 से ही चल रहा था। ग्राहक इस कर्ज को समय पर चुका रहे थे जिससे किसी को पता नहीं चल रहा था। लेकिन हाल ही में नीरव मोदी की कंपनी ने कर्ज का भुगतान नहीं किया।
इससे पहले दिन में पीएनबी ने खुलासा किया कि उसने कुछ धोखाधड़ी वाले लेनदेन का पता लगाया है। ये लेनदेन 1.171 अरब डॉलर या करीब 11,334.4 करोड़ रुपये के हैं। वसूली के लिए यह मामला विधि प्रवर्तन एजेंसियों को भेज दिया गया है। बैंक ने कहा कि इन लेनदेन के आधार पर अन्य बैंकों ने संभवत: कुछ ग्राहकों को विदेशों में ऋण दिया है।
इसके पीछे की कहानी यह बताई जा रही है कि गड़बड़ी में शामिल पीएनबी के अधिकारियों ने ज्यादा मार्जिन मनी की मांग की। मोदी ने इसे देने से मना कर दिया इसके जवाब में उसे पीएनबी की तरफ से एलओयू जारी नहीं किया गया। इस तरह से वर्षों से चल रहा यह चक्र टूट गया। ऐसे में एक विदेशी बैंक ने हांगकांग की नियामक एजेंसी के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक को सूचना भेज दी।